“मुझे माफ कर दो रिया – अनुराधा श्रीवास्तव “अंतरा “

New Project 2024 04 29T104516.742

कुछ तो बोलो, यूॅं चुप मत रहो। मैं कभी ऐसी गलती दोबारा नहीं करूॅंगा।’’ रिया बिल्कुल चुपचाप सोफा के एक कोने पर बैठी थी, न उसके चेहरे पर गुस्सा था ना दुख जैसे वो पहले से ही तैयार थी इस पल के लिये लेकिन अन्दर ही अन्दर वह जाने कितने झंझावतों से लड़ रही थी।  … Read more

पिता का क्षमादान – सरोज माहेश्वरी

New Project 2024 04 29T104436.080

 भारत के एक गांव में रामदीन अपनी पत्नी ,बच्चे के साथ रहते थे। अपनी थोड़ी सी पुश्तैनी ज़मीन पर खेती बाड़ी करके अपने परिवार का पालन पोषण करते थे। खुद्दारी इतनी किसी से भी कोई मदद न लेते। उनका एक बेटा रोहित था …. रोहित उनकी जान था। रामदीन बेटे को पढ़ा लिखा कर योग्य … Read more

समान अधिकार – स्नेह ज्योति

New Project 100

हम दोनो भाईयों का छोटा सा परिवार एक ही छत के नीचे अपने गाँव में रहता था । जब बाबू जी की तबियत ख़राब रहने लगी तो बड़े भाई ने बाबू जी से वसीयत बनाने को कहा, करते क्या ना करते बाबू जी ने पेपर बनवा के दोनो भाईयो के हिस्से बराबर कर दिए । … Read more

सौतेली माँ – पूनम अरोड़ा

New Project 99

आरव जब छैः वर्ष का था तो दुर्भाग्यवश  उसकी माँ  का देहांत  हो गया। वह छोटा था किन्तु  माँ  के विछोह का दर्द  उसमें  उन सबसे कहीं  ज्यादा था जो उसकी माँ  के लिए शोक व्यक्त  करते थे। वे शोक  करने से अधिक उसके लिए अधिक संवेदना  प्रकट करते थे। “अब इस बेचारे  का क्या … Read more

माफी – नीलिमा सिंघल

New Project 98

शिल्पा के पति को गुजरे दो ही महीने हुए थे। लेकिन दो महीने में ही उसके बेटा और बहू का उसके प्रति रवैया एकदम बदल गया था। पहले जो बेटा-बहू मम्मी-मम्मी कहते नहीं थकते थे, हर बात में उसकी राय लेते थे, उसका ख्याल रखते थे, पति के जाने के बाद उन्हीं बेटा-बहू के लिए … Read more

खामोशी –  नीलिमा सिंघल

New Project 97

लगभग 12/13 वर्षों के बाद गांव लौटा था। कुछ खास बदलाव नहीं था। हां,कुछ पक्के मकान अवश्य बन गए थे। बाजार जो पहले छोटा हुआ करता था,अब थोड़ा बड़ा हो गया है। हमारी पुरानी हवेली नुमा घर की शक्ल थोड़ी बदली बदली सी लग रही थी। परिवार के लोगों के चेहरों में कुछ कुछ परिवर्तन … Read more

माफ़ी गलती की होती है गुनाह की नही – संगीता

New Project 96

निकिता अपने कमरे मे गुमसुम उदास सी बैठी थी और अपने गुजरे दिनों के बारे मे सोच रही थी। कहने को निकिता ने जो जिंदगी से चाहा वो उसे मिला पर आज उसका दामन बिल्कुल खाली था । आज उसे खुद पर अफ़सोस हो रहा था। अपनी चाहत मे वो इतनी अंधी हो गई थी … Read more

कहीं हमारी बहू भी इस मौके की तलाश में ना रहे – सविता गोयल

New Project 95

तड़ाक से कांच टूटने की आवाज़ सुनकर दामिनी जी भागती हुई हाॅल में आई , ”  क्या तोड़ दिया बहू ?? ,, ” वो….  मम्मी जी ,  सफाई कर रही थी तो ये फ्लावर पॉट हाथ से छूट गया। ,, थोड़ा घबराते हुए मानसी बोली। ” हे भगवान, कितना सुन्दर पाॅट था … तुम्हें पता … Read more

छोटा सा त्याग – सुभद्रा प्रसाद

 ” दीपक, तुम अपनी गुल्लक क्यों तोड़ रहे हो? ” मम्मी ने अपने ग्यारह वर्ष के बेटे से पूछा |         “मैं छोटा सा त्याग करना चाहता हूँ |”         “क्या मतलब? ठीक से बताओ |”          “मम्मी, आज मेरे दोस्त आनंद का जन्मदिन है |वह अपना जन्मदिन मनाना चाहता है, पर उसके पापा नहीं हैं और उसकी … Read more

जिम्मेदारियाँ – गुरविंदर टूटेजा

सिविल लाईन एक कॉलोनी पास-पास रहने वाले दो परिवार पर जिम्मेदारियों के रूप अलग रूप है…  …..1…निधी भैया-भाभी छुट्टीयों के लिए पाँच दिन बाद आ रहे हैं..!!   अच्छा कितने दिन के लिए..?? पन्द्रह दिन के लिए हर बार तो आतें है तुम्हें पता तो है फिर क्यों पूछ रही हो..??   मैं इसलिए पूछ रही हूँ … Read more

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