फूटी आंँखों न भाना – मुकुन्द लाल : Moral Stories in Hindi

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 उस दिन वातावरण पर अंधेरा उतरने के बाद शनि के घर में प्रवेश करते ही उसकी धर्मपत्नी रीतिका ने  अपनी आंँखें लाल-पीला करते हुए उसको खरी-खोटी सुनाते हुए कहा कि घर में सबेरे( अंधेरा होने से पहले) आकर वह क्या करेगा?.. दफ्तर  में नई खूबसूरत स्टाफ आई है  और उसकी सुन्दरता के जाल में उसका … Read more

एक फोन काॅल से बदली जिन्दगी। – मुकुन्द लाल : Moral Stories in Hindi

New Project 46

उस कस्बे के खपरैल घर में रहनेवाली नीता विधवा थी।उसके पति की मृत्यु वर्षों पहले बीमारी से हो गई थी। उसकी एक पुत्री रंभा और एक पुत्र अरुण थे। वह अपने घर में सिलाई का काम करके अपना और अपनी संतान की जीविका चलाती थी।.                      … Read more

आंँखों पर चर्बी चढ़ना – मुकुन्द लाल : Moral Stories in Hindi

New Project 94

 लड़के के पिता महेश  और उसके पुत्र प्रबोध को लड़की के अभिभावक द्वारा अपनी लड़की के दिये गए फोटोग्राफ्स पसंद पड़ गये। इसके साथ ही उसके बायोडाटा व  अन्य जानकारियों से भी पिता-पुत्र प्रभावित हुए। उसके परिवार के अन्य सदस्यों ने भी इस रिश्ते को पसंद किया था।  महेश उस शहर का धनी व्यवसायी था। … Read more

मैं बेटी के मोह में सही-गलत का फर्क भूल गई थी। – मुकुन्द लाल : Moral Stories in Hindi

New Project 2024 04 29T104905.495

जागृति एक विधवा महिला थी। कुछ वर्ष पहले एक दुर्घटना में उसके पति की मृत्यु हो गई थी। उस समय से उसकी जिन्दगी में सन्नाटा छा गया था। उसकी जिन्दगी मरूभूमि की तरह बंजर हो गई थी। उसके जीने का एक मात्र सहारा उसकी इकलौती संतान उर्वशी ही थी।उसकी वजह से ही उसके जीवन का … Read more

जीवन-संध्या के कुछ पल – मुकुन्द लाल : Moral Stories in Hindi

New Project 80

   सुबह तड़के नित्य कर्मों से निवृत होकर बलदेव लाठी टेकता ओसारे में पड़ी उस खाट की ओर आहिस्ता-आहिस्ता बढ़ने लगा, जिससे उसका संबंध वर्षों से स्थापित हो गया था।    खाट के पास पहुंँचकर पल-भर के लिए वह रुका, फिर वह खाट पर बैठ गया। खाट पर बैठे-बैठे उसने अपनी लाठी को वहीं दीवार के सहारे … Read more

दोष – मुकुन्द लाल : Moral Stories in Hindi

New Project 2024 04 29T104818.633

उसकी सास महीनों से कमला को भला-बुरा कहकर उसे प्रताड़ित कर रही थी जिसको वह सिर झुकाकर वह सुन लेती थी लेकिन जब उसकी सास ने उसके पति की दूसरी शादी की घोषणा की तो कमला की देह में आग लग गई। उसकी आंँखों से क्रोध की चिन्गारियांँ निकलने लगी। उसने विफरते हुए कहा, “मांँजी!.. … Read more

रोटी – मुकुन्द लाल : Moral Stories in Hindi

New Project 36

अपने गांव के पड़ोसी टोले से मांगी गई रोटियाँ कारी के लिए अनमोल थी। अपने दो बच्चों के साथ तीन शाम तक भूख से लड़ने के बाद गिड़गिड़ाने और आरजू-मिन्नत करने के बाद उसे रोटियाँ नसीब हुई थी, उस टोले के सचिन की मांँ की मेहरबानी से।    नौरंगी जब जिन्दा था तो कारी रानी का … Read more

कैसे हैं ये बंधन – मुकुन्द लाल   : Moral stories in hindi

New Project 2024 04 29T104516.742

   “छोड़ दे बाबूजी!… हे मांँजी छोड़ाओ हमको!… बचाओ दीदी!… अरे कोई तो समझाओ!… मेरा बापू मजबूर है, कहाँ से देगा रुपया!… तरस खाओ भैया जी!…”    नलिनी विलाप कर रही थी। रो-रोकर अपनी जान की भीख मांग रही थी। अपने ही परिवार के अपने सास-ससुर, जेठ-जेठानी और अपने पति को संबोधित  करके गुहार लगाती रही लेकिन … Read more

दृष्टि की कुदृष्टि – मुकुन्द लाल : Moral stories in hindi

New Project 80

   उस दिन सुबह में सोमेश के घर कोहराम मचा हुआ था। उसकी पत्नी घर से गायब थी।     सुबह में जब सोमेश की आंँखें खुली तो करवट बदलने पर उसने देखा कि उसकी नवोढ़ा पत्नी बिस्तर पर नही है। पहले तो उसने समझा कि हो सकता है बाथरूम वगैरह गई होगी।  किन्तु कुछ देर के बाद … Read more

वादा-खिलाफी – मुकुन्द लाल : Moral stories in hindi

New Project 43

   नम्रता को जैसे ही अपने रिश्तेदारों से मालूम हुआ कि दक्षेश की शादी पक्की हो गई है। लड़की का पिता उस शहर का धनी व्यक्ति है। शादी में उसे इतना दान-दहेज़ मिलेगा कि उसका घर धन-दौलत और बेशकीमती सामानों से भर जाएगा। घर के पुरुषों ने लड़की पसंद कर ली है। सिर्फ महिलाओं को देखना … Read more

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