सिंदूर खुशहाल जिंदगी का प्रमाण नहीं होता – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

मर क्यों नहीं जाते तुम,कम से कम तुम्हारे न रहने पर हमारी और हमारे बच्चों की जिंदगी तो आसान हो जाएगी।छाती पर मूंग दल रहा है ।सब पैसा गांठ में बांधकर रखें रहता है बुड्ढा और घर में हमलोग एक एक पैसे को परेशान होते हैं ।यह रोज की बात थी मिस्टर और मिसेज शर्मा … Read more

एक औरत की जिम्मेदारियां कभी खत्म नहीं होती – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

क्या मम्मी इतनी देर हो गई अभी तक नाश्ता नहीं बना क्या,अरे बेटा बना रही हूं आज जरा उठने में देर हो गई रात में नींद नहीं आई थी ,बस सबको सबकुछ समय पर ही चाहिए जरा से आगे पीछे हो जाए तो सब सुनाने लगेंगे क्या कर रही थी अभी तक ये काम नहीं … Read more

बेसहारे का सहारा – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

साहब, साहब कल से हमार बेटवा घर नहीं आया है साहब ढूंढ लो उसे साहब,अरे आ जाएगा यही कहीं गया होगा दोस्तों के साथ। नहीं नहीं साहब वो तो इस समय तक रोज आ जाता है कहीं नहीं जाता है साहब मुझे बुढ़िया का अंधे की लकड़ी है वो साहब और मेरा कोई सहारा नहीं … Read more

रिश्तों में दूरियां – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

कितने अरमानों से नीलिमा बहू को घर लाई थी । कितने अरमान संजोए थे बहू के , बहुत प्यार से रखूंगी , ऐसा कुछ नहीं होने दूंगी जैसा अन्य घरों में सुनाई देता है सास ने  ये कहा तो बहू ने ये जवाब दिया फिर तू-तू मैं-मैं। नहीं नहीं मैं ऐसा कुछ नहीं होने दूंगी।काहे … Read more

अपनों का साथ – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

आज ट्रेन में घर वापसी के लिए बैठी रूपाली की आंखों के सामने भाई की वो आंसुओं से भरी आंखें रूपाली क्या कोई भी बहन भूल नहीं पा रही थी ।और उनके कहे शब्द पता नहीं अब दोबारा कब मिल पाएंगे कानों में गूंज रहे थे। रूपाली और उसके तीनों और बहनें चाहकर भी भाई … Read more

आखिरी निर्णय – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

भाई कैसे हो , ठीक हूं और तू बता कैसा चल रहा है तू तो बेटे के पास गई थी न कब आई वहां से । हां भइया मैं आ गई वापस और आज एक निर्णय लिया है कैसा निर्णय ,यही कि अब मैं अपने घर पर रहूंगी ।घर पर रहोगी अकेले कैसे ? अकेले … Read more

सौभाग्य वती,चिढ़ होती है मुझे इस शब्द से – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

सौभाग्यवती हो , सौभाग्यवती रहो ये क्या हैं शुभम घर में मैं जब भी मम्मी या दादी के पैर छूती हूं यही सुनने को मिलता है।खुश रहो , हंसते मुस्कुराते रहो ये कोई क्यों नहीं कह सकता ।तो इसमें हर्ज ही क्या है सोनल ये तो बहुत अच्छी बात है कि तुम्हें बड़ों के पैर … Read more

विपत्ति में साथ देना – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

समधी जी आप शादी मत तोडना मैं बहुत बड़ी मुसीबत  फंस गया हूं।बारात वापस चली गई तो बेटी की बहुत बदनामी हो जाएगी ।मैं धीरे धीरे सब भरपाई कर दूंगा विनोद जी ने समधी सुभाष जी के पांव पकड़ लिए । अरे अरे विनोद जी ये आप क्या कह रहे हैं सबकुछ ठीक तो है … Read more

Categories Uncategorized

संयुक्त परिवार का प्यार – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

बेटा मेरा टिकट करवा दें मुझे अपने घर जाना है गोपाल जी बोले , अपना घर अब यही अपना घर है बाबूजी अखिल बोला किस घर जाने की बात कर रहे हो जहां आपका कुछ नहीं है ।न कोई अपना कहने को ।घर में बस न का  हिस्सा है बस कहने को दो छोटे छोटे … Read more

Categories Uncategorized

जीवन का सच – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

सुमन एकटक सामने पड़े पैसे और जेवर को देख रही थी ।पति राघव ने टोका क्या देख रही हो सुमन ये सब तुम्हारे लिए है ।ये जेवर जिसके लिए तुम हमेशा मुझको ताने मारती रहती थी कि कभी तुमने मुझे कुछ दिलाया ही नहीं।और हां किसी दिन चलना बैंक मां के कंगन निकाल लेना उससे … Read more

Categories Uncategorized
error: Content is protected !!