सौभाग्य वती,चिढ़ होती है मुझे इस शब्द से – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

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सौभाग्यवती हो , सौभाग्यवती रहो ये क्या हैं शुभम घर में मैं जब भी मम्मी या दादी के पैर छूती हूं यही सुनने को मिलता है।खुश रहो , हंसते मुस्कुराते रहो ये कोई क्यों नहीं कह सकता ।तो इसमें हर्ज ही क्या है सोनल ये तो बहुत अच्छी बात है कि तुम्हें बड़ों के पैर … Read more

विपत्ति में साथ देना – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

New Project 60

समधी जी आप शादी मत तोडना मैं बहुत बड़ी मुसीबत  फंस गया हूं।बारात वापस चली गई तो बेटी की बहुत बदनामी हो जाएगी ।मैं धीरे धीरे सब भरपाई कर दूंगा विनोद जी ने समधी सुभाष जी के पांव पकड़ लिए । अरे अरे विनोद जी ये आप क्या कह रहे हैं सबकुछ ठीक तो है … Read more

संयुक्त परिवार का प्यार – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

New Project 34

बेटा मेरा टिकट करवा दें मुझे अपने घर जाना है गोपाल जी बोले , अपना घर अब यही अपना घर है बाबूजी अखिल बोला किस घर जाने की बात कर रहे हो जहां आपका कुछ नहीं है ।न कोई अपना कहने को ।घर में बस न का  हिस्सा है बस कहने को दो छोटे छोटे … Read more

जीवन का सच – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

New Project 99

सुमन एकटक सामने पड़े पैसे और जेवर को देख रही थी ।पति राघव ने टोका क्या देख रही हो सुमन ये सब तुम्हारे लिए है ।ये जेवर जिसके लिए तुम हमेशा मुझको ताने मारती रहती थी कि कभी तुमने मुझे कुछ दिलाया ही नहीं।और हां किसी दिन चलना बैंक मां के कंगन निकाल लेना उससे … Read more

सुख-दुख है हमारे साथी – मंजू ओमर  : Moral Stories in Hindi

New Project 47

रितेश जी आपकी मम्मी का ब्रेन डेड हो गया है और बस वेंटिलेटर के सहारे से चल रही है , जैसे ही वेंटिलेटर हटाएंगे सब खत्म हो जाएगा अब कुछ नहीं बचा है इनके शरीर में आप घर ले जाइए डाक्टर बोला। सुनकर रितेश और प्रीतेश दोनों भाइयों को धक्का सा लगा ।प्रितेश बोला भइया … Read more

ससुराल में अपनी जगह बनानी पड़ती है – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

New Project 2

आज अवनि क्षितिज से झगड़ा करके मायके में आकर बैठ गई थी। क्षितिज बार बार फोन कर रहा था पर अवनि फोन नहीं उठा रही थी। शादी के समय बहुत सीधी साधी सी दिखने वाली अवनि शादी के बाद बात बात में तुनक जाती थी और मुंह फुलाकर बैठ जाती थी।और नहीं तो लोकल मायका … Read more

अपना घर – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

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घर वापसी, आज मोहन जी जब सुबह सोकर उठे तो अपने आप को बहुत तरोताजा महसूस कर रहे थे। उठकर दैनिक क्रिया से निवृत्त होकर घर के बाहर टपरे पर चाय पीने निकल गए ।चाय का कप हाथ में लेकर चाय पीते पीते चाय वाले से बात भी करने लगे ।अरे राजू तू कब से … Read more

चिकना घड़ा – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

New Project 56

भाभी जी मुझे खाना बनाना है ,तो बनाओ ना मैं बैठी हूं जो बनाओगी मैं भी खा लूंगी।प्रिया परेशान हो गई थी चम्पा भाभी से ।वो वक्त बेवक्त प्रिया के घर आकर बैठ जाती थी और फिर जाने का नाम नहीं लेती थी ।दो चार दिन की बात हो तो ठीक है लेकिन ये तो … Read more

आत्म सम्मान – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

New Project 55

मम्मी कल मैं वापस जा रहा हूं आप भी अपना समान पैक कर लें हमारे साथ चले यहां अकेले कैसे रहेंगी नमिता का बेटा आकाश बोला । नहीं आकाश में तुम्हारे साथ नहीं जाऊंगी , लेकिन मां तुम यहां कैसे रहोगी अकेले ।रह लूंगी बेटा मैं अकेले अभी तक तो तुम्हारे पापा थे लेकिन मैं … Read more

रिश्ते तो विपत्ति में सहारा बनते हैं – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

New Project 39

भाई ये तुमने ठीक नहीं किया हमने तो तुम पर भरोसा किया था,हर सुख-दुख में तुम्हारा साथ दिया था ।तुम बड़े भाई थे तुम्हारे हर बात पर विश्वास किया, तुम्हें पिता समान समझा और तुम्ही ने मेरे साथ इतना बड़ा धोखा किया। अरे कुछ ऊपर वाले से भी तो डरो।भाई भाई का रिश्ता तो भगवान … Read more

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