“हौसले से जिंदगी हसीन” – कविता भड़ाना

पूरे गांव के लोग आज सुबह सवेरे चौपाल पर इक्कठे हो रहे थे…बहुत ही गहमागहमी थी और उत्सुकता भी अपने चरम सीमा पर थी की आखिर ऐसी क्या बात है जो गांव के ही हरिया किसान की छोटी बहू जिसे अभी विधवा हुए मुश्किल से दो महीने ही हुए है, ने चौपाल पर पंचों के … Read more

“अपग्रेडिंग बुढ़ापा” (एक कदम साहस भरा) – कविता भड़ाना

क्या???? ये क्या सुन रहे है हम मां… क्या कह रही हो आप?? ऐसा भी कही होता है क्या… रेवती जी की बात सुनने के बाद दोनों बेटों और बहुओं के मुंह आश्चर्य से खुले रह गए…  क्यों बच्चो ऐसी क्या अनोखी बात कह दी मैने जो तुम लोग इतना हैरान हो रहे हों… आज … Read more

ख्वाइशों के बुलबुले – कविता भड़ाना

“मैं चली मैं चली, देखो प्यार की गली मुझे रोके ना कोई, मैं चली मैं चली” जब जब सायरा बानो जी का ये गाना देखती हूं, मेरे हृदय पर जैसे सांप लोटने लगता है, तन बदन में आग लग जाती है और ईर्ष्या के मारे मेरा ब्लड प्रेशर हाई होकर ब्लास्ट हो जाता है…. अरे … Read more

प्यार से बंधी रिश्तों की डोर” – कविता भड़ाना

“हाय कितनी गर्मी हो रही है” पसीने को पोंछती हुई माही बड़बड़ाते हुए बोली…दोपहर के 2 बजे अप्रैल माह की चिलचिलाती गर्मी में माही अपनी 10वर्षीय बेटी परी को लेने घर से थोड़ी दूर बस स्टॉप पर आई थी, उसके जैसे और भी कई पैरेंट्स अपने अपने बच्चों को लेने आए थे, गर्मी से सबका … Read more

“बेटी की बद्दुआ ” – कविता भड़ाना

एंबुलेंस के सायरन की आवाज जैसे जैसे करीब आती जा रही थी कनिका का हृदय आशंका और वेदना से फटा जा रहा था, घर – परिवार के सभी लोग इक्कठा हो चुके थे और आंखों ही आंखों में शायद सभी एक दूसरे को जवाब भी दे रहे थे,…  आज सुबह ही तो पापा से अस्पताल … Read more

“जिंदगी का फैसला” – कविता भड़ाना

गुस्से से तमतमाते हुए सुनील ने भड़ाक से दरवाजे पर लात जमाते हुए चिल्लाया ” बाहर निकल आज तुझे छोडूंगा नही समझती क्या है अपने आप को” कमरे में खुद को बंद कर सीमा डर से थर थर कांप रही थी, क्या करे ये सोच ही रही थी की तभी दरवाजा एक झटके से खुल … Read more

प्यार “एक एहसास” – कविता भड़ाना

“सुमन आज बहुत खुश थी क्योंकि आज “सुमित” अपनी बहन के घर दो दिनों के लिए आ रहा था और ये बात सुमन को उसकी चाची की बहु यानी सुमित की बहन राधा ने बताई थी… संयुक्त परिवार में रहने वाली सुमन के पिता चार भाई है और सभी एक साथ बहुत बड़े हवेलीनुमा घर … Read more

“वक्त का तराज़ू ” – कविता भड़ाना

“प्रिया की जब आंखें खुली तो उसने खुद को अस्पताल के बेड पर पाया। उसके हाथ को थामे पास बैठे सुधांशु को देख प्रिया के होंठ फड़फड़ाए और धीरे से बोली “पानी”.. सुधांशु ने प्रिया को पानी पिलाया और डाक्टर को बुलाने चला गया। प्रिया की आंखों के सामने पिछली रात की घटना चलचित्र की … Read more

स्वाभिमान और अभिमान –  कविता भड़ाना

आखिरकार आज “स्वाभिमान” और “अभिमान” का टकराव हो ही गया था। अपने जीवन के महत्वपूर्ण साल अपने परिवार को देने के बाद “मनीषा” ने जब अपनी खुशी और पहचान के लिए कुछ करना चाहा तो अभिमानी “अजय” को ये सहन नही हो पा रहा था।  रिश्ता बेशक दोनो का पति – पत्नी का है पर … Read more

“एक दूजे के सहारे रिश्ते प्यार भरे” – कविता भड़ाना

“प्रिया”, “प्रिया”…. बेटा कहां हो? पुकारती हुई सुलभा जी ने देखा की उनकी नई नवेली बहुरानी ड्राइंग रूम में बैठी ऊंघ रही है….. दिसंबर महीने की कड़कड़ाती ठंड में 5बजे उठ कर नहा धोकर तैयार बैठी अपनी बहु को देख सुलभा जी को बड़ा प्यार आ रहा था, उन्होंने धीरे से जाकर प्रिया को जगाया … Read more

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