अपना सा मुंह लेकर रह जाना – डा. शुभ्रा वार्ष्णेय : Moral Stories in Hindi

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शहर की तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी में साक्षी, एक सफल कॉर्पोरेट प्रोफेशनल, हमेशा अपनी उपलब्धियों का ढिंढोरा पीटती रहती थी। उसे लगता था कि दूसरों की सफलता केवल दिखावा है, असली प्रतिभा तो बस उसी में है। एक दिन उसे अपनी पुरानी सहपाठी अदिति का सोशल मीडिया प्रोफाइल दिखा। अदिति ने अपने छोटे से बुटीक की … Read more

रिश्तों की धुरी: प्यारी सास – डा. शुभ्रा वार्ष्णेय : Moral Stories in Hindi

New Project 89

विमला देवी एक साधारण गृहिणी थीं, जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी अपने परिवार के लिए समर्पित कर दी थी। पति के देहांत के बाद, उन्होंने अपने दोनों बेटों अमित और मनीष को न केवल पाला , बल्कि उन्हें अच्छे संस्कार भी दिए। अमित की शादी को तीन साल हो चुके थे, लेकिन उनकी पत्नी रिया अक्सर … Read more

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