ढलती सांँझ – डॉ बीना कुण्डलिया  : Moral Stories in Hindi

prerak kahani

सुबह होती है शाम होती है…. उम्र यूं ही तमाम होती है…किसी तीर्थ यात्री के मोबाइल से आती गाने की आवाज को सुनकर घाट के एक कोने में टैंट के नीचे बैठी अम्बा बाईजी बुदबुदाती है…सच ही तो है कितना सुन्दर लिखा किसी ने इंसान की जिंदगी “ढलती साँझ” सी ही है…और खुद उसकी अपनी … Read more

किचन किंग – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

New Project 39

अरे वाह भाभी… मजा ही आ गया… बड़ा ही स्वादिष्ट नाश्ता बनाया आपने, जितनी भी तारीफ करो…. कम ही रहेगी,राधव ने अपनी भाभी रूपा के बनाये खाने की तारीफ करते हुए कहा आज तो पेट भर गया मगर नीयत ही नहीं भर रही…. फिर दो कचौड़ियां और अपनी प्लेट में क्या रख… लीं ॽ  पत्नी … Read more

हम वो नहीं जो दूसरे बताते हैं…… – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

New Project 83

माना की आज तनाव भरी एवं व्यस्त जीवन में हास्य का अपना ही महत्व है ‌यह हमें खुश रखने में मदद करता है लेकिन यही मजाक अगर सही तरीके से न किया जाए,या मजाक की आड़ में कटाक्ष ,तो पल भर में सारे खुशनुमा माहौल को बिगाड़कर रख देता है….. काफी समय से मिलना जुलना … Read more

जब यादों के झरोखे ने दी दस्तक – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

New Project 72

 आज सुबह से बाहर तेज बारिश हो रही थी। बादल अपनी गर्जन से आकाश को दहला रहे थे…. ऐसा लगता जैसे भयंकर तूफान आने वाला है। परेशान सी रमा कभी खिड़की के बाहर देखती,कभी कमरे में चहलकदमी करती…बैचेन सी इधर उधर मंडरा रही थी। अचानक हुई रिमझिम से मौसम खुशगवार हो गया था..रमा ने एक … Read more

चार दिन की चाँदनी – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

New Project 68

बाबूल की दूआए लेती जा जा तुझको सुखी संसार मिले भावविभोर करती …सामने के घर में जहां कल कितनी रौनक थी आज बेटी की विदाई की तैयारी शहनाई वादन की मधुर धुन मन को विचलित कर रही थी। अपनी बाल्कनी में खड़ी मयूरी शादी की रौनक भीड़ भाड़ देख रही आज उसका मन पहले से … Read more

अपमान – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

New Project 42

अपमान…सम्मान…. दोनों ही हमारी दृष्टि पर निर्भर करता है। किसी की भूल को भूला देना, अपने कार्यो का मूल्यांकन करने से जीवन सफल हो जाता है। जीवन में सच्ची सफलता समता और विनम्रता के संगम से ही मिलती है। दो सहेलियों की यह कहानी हकीकत का दर्शन कराती है। निशा और माया दोनों पक्की मित्र, … Read more

पापा मैं छोटी से बड़ी हो गई क्यों – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

New Project 2024 04 29T211239.414

राधा…. ओ राधा। अरी कहां है सारा दिन मौहल्ले के बच्चों के साथ धमा-चौकड़ी मचाती फिरती है। पिता का स्वर सुनकर 13 बर्ष की राधा को घर के भीतर आना ही पड़ा। “अरी ब्याह की उम्र हो चली है तेरी अगले माह लगन है”। पास-पड़ोस के लोग ताने मारने लगे हैं , लड़की घर में … Read more

“आखिरी फैसला” – डा० बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

New Project 2024 04 29T215107.227

जिंदगी में कभी-कभी ऐसे मोड़ आते हैं जब हर रास्ता बंद सा लगता है। दिल कुछ कहता है, तो दिमाग कुछ और। ऐसी ही कश्मकश में फंसी हुई थी राधा। उसके जीवन में समस्याओं की एक लंबी फेहरिस्त थी। लेकिन आज, वह खुद को कमजोर नहीं, बल्कि मजबूत महसूस कर रही थी। उसके हाथों में … Read more

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