मुँह मोड़ना – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

हीरा व्यापारी प्रताप नारायण पहली पत्नी के एक दस वर्षीय पुत्र राधे को छोड़ देहान्त के उपरांत, दूसरा विवाह कर लेते हैं।उनको दूसरी पत्नी से दो जुड़वां पुत्र होते हैं। धीरे धीरे उनकी संतानें बढ़ने लगती हैं । नई पत्नी प्रेमा अपने पुत्रों से तो खूब लाड़ प्यार व राधे से सारे घर बाहर के … Read more

 ससुराल बना मायका – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

नारी जीवन तेरी भी ये कैसी अजीब कहानी…एक घर जहां जन्म व परवरिश यानि जीवन के प्रारंभिक पल, बालपन, अट्ठारह बर्ष का लम्बा सफर तय किया फिर विवाह कर दूसरे घर चली गई मालती एकदम नया घर नया माहौल…बहुत सहनशीलता चाहिए ढलने की ताकत बरकरार रखने के लिए, जहां कदम कदम पर कर्तव्य पूर्ति की … Read more

निंदा रस का आनंद – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

अरे सुनो पता है मिसेस वर्मा के बहु बेटे का तलाक होने वाला है। शान्ति बोली, अच्छा ऽऽऽ क्या बात करती हो बड़ी गज़ब की खबर,शान्ति तुमको किसने बताया झुँड में खड़ी कुछ महिलाएं एक साथ बोल पड़ी.. तुम तो अभी नई नई ही आई हो हमारे अपार्टमेंट में…तुमको तो सारी खबरें रहती है रेखा … Read more

सुपर हीरो का खिताब चाहिए तो… – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

आज सुमित सुबह जल्दी उठ गया वीकेंड था वैसे तो, और दिन तो वीकेंड पर देर तक सोता भला हफ्ते भर की थकावट उतारने का दिन जो होता ये.. उसने जल्दी जल्दी दो कप चाय बनाई उसको लेकर बेडरूम में पहुँचा । पत्नी सुलेखा बस उठ ही रही थी पति सुमित को हाथ में चाय … Read more

सौतेली माँ – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

आज सुबह से ही राकेश विचित्र मनोस्थिति में फंसा था । घर वाले उसका दूसरा विवाह करवाने पर जोर डाल रहे थे ‌। मगर वो मालती को कैसे भूला सकता था। जो कुछ माह पूर्व उसको सदा के लिए छोड़कर परलोक सिधार चुकी थी और नन्ही-सी जान पीहू को उसके हाथों सोंप गई थी। पीहू … Read more

मायके का सफर – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

खूबसूरत फूलों से सजी डोली द्वार पर खड़ी। नये मिलन बिछोह की अनमोल अद्भुत घड़ी दिल में बसाये, अपने नये आशियाने की तरफ निकल पड़ी प्रिया.. खट्टी-मीठी अनुभवी यादें, बचपन की सहेलियां.. ढेरों बातों के सिलसिले, बारिश में भीगना सूने आँगन की छटपटाहट सभी को पीछे छोड़कर आई … “ छुट गया बचपन बेफिक्र सा … Read more

ननद – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

आखिर बकरे की माँ कब तक खैर मनाती….. शादी शुदा ननद की दखलंदाजी, घर का बिगड़ता माहौल आज तो सुबह सासूमां ने जैसे ही काम और ननद को लेकर बहस की हिम्मत करके श्वेता ने भी बोल ही दिया। ‘माँ ऽऽ ननद अपभ्रंश है “न आनंद” का यानि वह व्यक्ति जो “न आनंद “ देने … Read more

वो ससुराल है या जेल – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

रात होने को और दरवाजे पर लगी डोरबेल भनभनाई टिंग टांग टिंग टांग टिंग टांगऽऽऽ अनीता जी किचन समेटती सब छोड़ छाड़ जल्दी से आई ये रात को कौन आ गया ..? थोड़ा सा दरवाजा खोल देखा अरेऽऽ अनीशा आई है । सुनकर पिता अविनाश भी कमरे से दौड़े आये ।अरे…बेटा रात को आई सब … Read more

एक फैसला आत्मसम्मान के लिए – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

आज मै जो हूँ अपनी माँ की बदौलत हूँ..मेरी माँ ने मेरी खातिर किया.. “एक फैसला आत्मसम्मान के लिए”….मेरे लिए किया था उसने फैसला वो मुझे फर्श से अर्श तक पहुँचा कर रहेगी । आज भले ही वो इस दुनिया में नहीं है….. ये दुनिया उन लोगों को सलाम करती है जो अपने बल पर … Read more

बड़ी बहू – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

अरे राधाऽऽऽ ओ बहुरानीऽऽऽ बेटा कहां हो इसके बिना तो हम बिल्कुल अपाहिज से होकर रह गये हैं…थोड़ा गर्म पानी दे दो बिटिया, सुबह से गले में जकड़न सी हो रही है सोच रही गरारे कर गला साफ कर लेती ।  “ हे भगवान ये बैठे बिठाए क्या मुसीबत गले पड़ आई” क्या कल जाना … Read more

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