*नया सूरज* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

     पापा, बस अब यह सब नही,बहुत हो चुका।अब मैं आपसे कुछ भी नही लूँगी।       पर बेटा मेरा सबकुछ तेरा ही तो है, तू क्यो टेंसन लेती है।       पापा, आप मेरे आत्मसम्मान के बारे में भी तो सोचो।सचिन से शादी का निर्णय मेरा था,यदि मेरा  निर्णय गलत सिद्ध हुआ है तो उसे मैं ही भुगतुंगी,आप नही। … Read more

 अपनापन – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

          मनीष आज मानसिक रूप से बेहद परेशान था,आत्मविश्लेषण करने में परेशानी तो होती ही है।आज स्कूल से आते ही उसके बेटे बबलू ने पूछा पापा ये ताऊ जी क्या होते हैं,किन्हें ताऊ जी कहते हैं? इस अजीब से प्रश्न को सुनकर मनीष ने सोचा कि स्कूल में किसी बच्चे ने अपने ताऊ जी का जिक्र … Read more

छोटे लोग – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

देख भाई योगेश,तेरा क्या सोचना है,मुझे नही मालूम,पर मैं अपना विचार तुझे बता देता हूँ।     क्या बात है बड़े भाई?कोई विशेष बात है?       हाँ,मैं जो कहने जा रहा हूँ, उस बात का यही ठीक समय है।योगेश पिताजी की दोनो किडनी खराब हो चुकी हैं।इलाज में भी काफी खर्च हो चुका है,अब डॉक्टर किडनी ट्रांसप्लांट करने … Read more

नयी फसल – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

अरे,दुर्गा काका,कैसे हैं आप,कल से आपसे बात ही नही हो पायी।काका सब ठीक है ना?        हाँ-हाँ, सब ठीक है छोटे सरकार।अब तुम आ गये हो तो और सब ठीक हो जायेगा।         और सब ठीक हो जायेगा, यानि कुछ गड़बड़ है?काका बताओ ना क्या बात है?          कुछ नही बबुआ,पूरे दो साल में आये हो,आराम करो,बाते तो … Read more

अधूरापन – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

         जानकी,कब तक यूँ ही आंसू बहाती रहोगी।भाग से समझौता करना सीख लो।        मैं कहाँ आंसू बहा रही हूँ, तमे तो यूँ ही भैम रहे है।       तेरे साथ साथ रहते 14 साल  हो गये हैं, जानकी क्या तुझे समझन को अगले जनम की जरूरत है?मैं क्या तेरा दर्द ना समझूँ हूँ?सच जानकी वो दर्द तो मेरा … Read more

अनजाना बंधन – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  मुझे बचा लो,बेटा, ये मुझे क्यो मार रहे हैं?अच्छा लो मैं भी मारूंगी, हाँ-कहते कहते उसने भी एक पत्थर उस भीड़ की ओर उछाल दिया। उसका पत्थर फेंकना था कि बच्चो की भीड़ जिसे उकसाने में बड़ी उम्र के लोग भी शामिल थे, तीतर बितर होने लगी।और इससे उत्साहित हो उसने फिर एक और पत्थर … Read more

औलाद – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

       ओह, तो आपको पैसा चाहिये,तो पैसा ही मांगते,फिर ये किसी कार्यक्रम के अध्यक्ष बनाये जाने के एवज में रुपये की मांग क्यों?देखिये मुझे आपके किसी सम्मान की जरूरत नही है।मेरे पास जब तक दौलत है तब तक मेरा सम्मान स्वयं ही सुरक्षित है।       नही-नही, सर ये बात नही है।वह तो सामान्य ऐसा होता ही है … Read more

मौन- दर्द – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  चहुँ ओर शोर,चिल्लाहट,हाय हाय की आवाज उठ रही थी।एक ट्रक के पीछे दो किशोर बच्चे कुचले पड़े थे,मांस के लोथड़े बिखरे हुए थे।उसी ट्रक की साइड में एक 60 वर्षीय वृद्ध भी अचेवस्था पड़े थे।एक अति विभत्स और करुणाजनक दृश्य वहां था।          उक्त घटना 1972-73 की है।मेरे पिता ईंटो के भट्टे के व्यवसाय में थे। … Read more

*सबक* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 मनोज पिछले दो दिनों से ही मानसिक पीड़ा से ग्रस्त था,क्या करे कैसे करे,कोई राह मिल ही नही रही थी।घर से उसे वैराग्य सा हो गया था,उसका मन कर रहा था,वह कहीं एकांत में सदैव के लिये चला जाये, फिर अपने बच्चे का ख्याल आता तो कदम रुक जाते।मोनिका पत्नी होते हुए भी उसको समझने … Read more

नया उगता सूरज – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 आज मास्टर जी का बिस्तर से उठने का मन ही नही कर रहा था,पूरा शरीर टूट सा रहा था।अंदर से लग रहा था बुखार आ गया है।वे लेटे रहे।सामान्यतः मास्टर जी सुबह जल्द ही उठ जाते हैं, पर आज सूरज चढ़े तक भी बिस्तर से उठ ही नही पाये।तभी रसोई घर से खटर पटर की … Read more

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