आंसू बेबसी के – बालेश्वर गुप्ता :  Moral Stories in Hindi

             सेठ जी,एक अर्ज थी।       कहो रामदीन क्या बात है?    सेठ जी,वो क्या है,छत पर जो टीन पड़ा है,वह 14 आदमियो के सोने के लिये छोटा पड़ता है।यदि साइड में एक टुकड़ा टीन का और डलवा दे,तो मेहरबानी होगी।       देखो रामदीन,अभी नई मशीनें खरीदी है, काफी खर्च हुआ है, अभी और खर्च की कोई गुंजाइश नही … Read more

लौट आओ – बालेश्वर गुप्ता : Moral stories in hindi

 उस दिन भी मैं जब शाम को सोसाइटी के पार्क में गया तो व्हील चेयर पर उन बुजुर्ग व्यक्ति को शून्य में निहारते पाया,प्रतिदिन मैं उन्हें वही ऐसे ही देखता आ रहा था।चेहरा देखते ही लगता था, वे असीम पीड़ा झेल रहे हैं।वैसे तो आजकल पश्चिम सभ्यता अपनाने के कारण कोई किसी से कोई मतलब … Read more

काला तवा – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

     सुनो जी,आज अपने गांव में गाड़िया लुहार आये हैं, उधर से निकलो तो एक तवा उनसे खरीद लाना।    क्यो भागवान, पहले तवे का क्या हुआ,जो नया मंगा रही हो?       असल मे वह छोटा पड़ता है जी।आप चाहते हैं पानी के हाथ की बड़ी करारी रोटी,वही आपका लाडला भी चाहता है।आज आया हुआ है तो कहेगा … Read more

हाँ मैं हूँ सावित्री – बालेश्वर गुप्ता

   आपकी आंखों में आँसू मैं देख नही पाती, उपेंद्र तुमने अपना जीवन खुद जिया है, बनाया है तो क्यों इतना कमजोर होते हो?सुनो मैं हूँ ना,तुम्हे यमराज के हाथों से भी छीन लाउंगी।बस तुम हिम्मत मत हारो।      मालती के कहे शब्दो का असर ही था कि एक माह बाद  उपेंद्र ने आंखे खोल भरपूर दृष्टि … Read more

किरदार – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

             बेटे के व्यवहार ने आज सरोज जी को अंदर तक तोड़ कर रख दिया।कितने जतन से कितनी तपस्या से जतिन को पाला पोसा था,पर आज—–?          रमेन्द्र जी जब सरोज को ब्याह कर लाये थे तो सरोज की उम्र महज 19 बरस की थी।बाबुल के यहां कुलांचे भरते भरते कब वो घर पराया हो गया पता … Read more

*मेरा अपना क्या* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

    माँ-ओ माँ, एक बात कहूं,पता नही क्यूँ आज मेरा मन तेरी गोद मे सिर रख कर सोने को कर रहा है।बहुत याद आ रही है, तेरी।पर यहां भी तो तेरा ये बेटा तेरी और अपनी मां के लिये ही लड़ रहा है।सुन सोनी है ना,थोड़ी अल्हड़ है,एकदम मुझसे रूठ जाती है,मैं उसे कैसे समझाऊं यहां … Read more

  खाली कुर्सी – बालेश्वर गुप्ता

घर से सामान के ट्रक में लदते समय मेरे बेटे समीर ने मेरे कमरे में रखी पुरानी कुर्सी को हटा दिया,और पैकर्स से कहा कि  इसे लादने की जरूरत नही है।मैंने सुना तो मेरी तंद्रा टूटी और मैं अचकचा कर बोला,नहीं-नहीं, इस कुर्सी को भी लेकर चलना है,ये मेरे बाबूजी की कुर्सी है।उनकी याद है, … Read more

*नया सूरज* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

     पापा, बस अब यह सब नही,बहुत हो चुका।अब मैं आपसे कुछ भी नही लूँगी।       पर बेटा मेरा सबकुछ तेरा ही तो है, तू क्यो टेंसन लेती है।       पापा, आप मेरे आत्मसम्मान के बारे में भी तो सोचो।सचिन से शादी का निर्णय मेरा था,यदि मेरा  निर्णय गलत सिद्ध हुआ है तो उसे मैं ही भुगतुंगी,आप नही। … Read more

 अपनापन – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

          मनीष आज मानसिक रूप से बेहद परेशान था,आत्मविश्लेषण करने में परेशानी तो होती ही है।आज स्कूल से आते ही उसके बेटे बबलू ने पूछा पापा ये ताऊ जी क्या होते हैं,किन्हें ताऊ जी कहते हैं? इस अजीब से प्रश्न को सुनकर मनीष ने सोचा कि स्कूल में किसी बच्चे ने अपने ताऊ जी का जिक्र … Read more

छोटे लोग – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

देख भाई योगेश,तेरा क्या सोचना है,मुझे नही मालूम,पर मैं अपना विचार तुझे बता देता हूँ।     क्या बात है बड़े भाई?कोई विशेष बात है?       हाँ,मैं जो कहने जा रहा हूँ, उस बात का यही ठीक समय है।योगेश पिताजी की दोनो किडनी खराब हो चुकी हैं।इलाज में भी काफी खर्च हो चुका है,अब डॉक्टर किडनी ट्रांसप्लांट करने … Read more

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