उड़ान – बालेश्वर गुप्ता

         देख रज्जो, तू मेरी बहन जैसी है, इसलिये समझा रही हूं,शालू को संभाल, नही तो पछताएगी।     क्यो क्या हुआ,सरोज?मेरी शालू ने ऐसा क्या कर दिया,जो मुझे पछताना पड़ेगा।वो तो यहां अब गांव में कितना रहती है, शाम ढले आती है, दिन भर तो वह शहर में ही रहवै है।       गांव में नही रहती यही तो … Read more

आंसू बेबसी के – बालेश्वर गुप्ता :  Moral Stories in Hindi

             सेठ जी,एक अर्ज थी।       कहो रामदीन क्या बात है?    सेठ जी,वो क्या है,छत पर जो टीन पड़ा है,वह 14 आदमियो के सोने के लिये छोटा पड़ता है।यदि साइड में एक टुकड़ा टीन का और डलवा दे,तो मेहरबानी होगी।       देखो रामदीन,अभी नई मशीनें खरीदी है, काफी खर्च हुआ है, अभी और खर्च की कोई गुंजाइश नही … Read more

लौट आओ – बालेश्वर गुप्ता : Moral stories in hindi

 उस दिन भी मैं जब शाम को सोसाइटी के पार्क में गया तो व्हील चेयर पर उन बुजुर्ग व्यक्ति को शून्य में निहारते पाया,प्रतिदिन मैं उन्हें वही ऐसे ही देखता आ रहा था।चेहरा देखते ही लगता था, वे असीम पीड़ा झेल रहे हैं।वैसे तो आजकल पश्चिम सभ्यता अपनाने के कारण कोई किसी से कोई मतलब … Read more

नया उगता सूरज – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 आज मास्टर जी का बिस्तर से उठने का मन ही नही कर रहा था,पूरा शरीर टूट सा रहा था।अंदर से लग रहा था बुखार आ गया है।वे लेटे रहे।सामान्यतः मास्टर जी सुबह जल्द ही उठ जाते हैं, पर आज सूरज चढ़े तक भी बिस्तर से उठ ही नही पाये।तभी रसोई घर से खटर पटर की … Read more

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