शक से रिश्ते बिगड़ जाते हैं (भाग 1) – अर्चना खंडेलवाल  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : “ये तुम्हारी शक करने की आदत कब जायेगी? तुम्हें तो हर बात पर ही शक करना है और मेरा समझाना ही बेकार है, मै क्यूं पत्थर से सिर फोड़ रही हूं और वंदना दनदनाती हुई कमरे से बाहर निकल गई, बाहर बॉलकोनी में जाकर आंसू बहाने लगी, पर उसके आंसूओं … Read more

मुझे बहुत आत्मग्लानि महसूस होती है – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

 “दीदी, मुझे दो महीने काम के पहले पैसे दे दो, मुझे बेटी के स्कूल की फीस भरनी है, मै बाकी के  महीने आराम से पगार ले लूंगी।”  मेरी कामवाली ने कहा तो मैं  सोचने लगी अभी तो नई-नई आई है, दस दिन भी नहीं हुए हैं और पूरे दो महीने की पगार पहले से मांगने … Read more

मां तो कभी बच्चों पर किए गए खर्च का हिसाब नहीं लगाती!! (भाग – 3) – अर्चना खंडेलवाल

मैं इस उम्र में तुम्हारे घर की क्या चौकीदारी ही करती रहूंगी। सौरव,  मां हूं तेरी तुझे नौ महीने कोख में पाला है,छोटा है तो तुझे सबसे ज्यादा प्यार दिया है, विनीत से ज्यादा तू मेरा लाड़ला रहा है, तेरी हर जिद पूरी की है, तेरे खिलौने और खेल के सामान का मैंने कभी हिसाब … Read more

मां तो कभी बच्चों पर किए गए खर्च का हिसाब नहीं लगाती!! (भाग – 2) – अर्चना खंडेलवाल

तूने सास-ससुर की सेवा के झंझट से मुक्ति पाने का अच्छा उपाय ढूंढा है, शकुंतला देवी ने ज्योति को सुनाया। नहीं मांजी, मैं इस तरह से रोज आपके तानें सुनकर जीना नहीं चाहती हूं,ससुर जी की कमाई के पकवान भी मेरे लिए फीके हैं और अपने पति की कमाई की दो सूखी रोटी भी मैं … Read more

मां तो कभी बच्चों पर किए गए खर्च का हिसाब नहीं लगाती!! (भाग – 1) – अर्चना खंडेलवाल

मां, अकेले मेरी जिम्मेदारी नहीं है, महीना शुरू हुए इतने दिन हो गये और आपने अभी तक भी पैसे नहीं भेजे?? मैं ही अकेला मां का खर्चा क्यूं उठाऊं? अभी मेरे मकान का भी काम चल रहा है, अब मकान बनवाऊं या मां की बीमारी में पैसा खर्च करूं! मेरे पास भी कोई खजाना नहीं … Read more

मुझे आपकी दौलत का लालच नहीं है -अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : “अरे!! कब से बुला रही हूं, ये बड़ी बहू तो सुनती ही नहीं है, कानों में रूई डाल ली है क्या?” सुमिता जी चिल्लाकर बोलती है, तो गरिमा तेजी से दौड़ती हुई आती है। “मम्मी जी, आपने बुलाया? वो मै छत पर से कपड़े उतार रही थी, तो आपकी आवाज … Read more

मेरी ननदें मेरे लिए बोझ नहीं है ( भाग -3) – अर्चना खंडेलवाल : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : सुरेखा ने उसे देखते ही ताना मारा और मुंह बनाया, पर नीरजा ने इसकी परवाह नहीं की, और अपनी मम्मी सुनीता जी को बताया कि उसकी सास उसकी नौकरी करने के लिए राजी हो गई है, वो अपनी मार्क शीट, सर्टिफिकेट और डिग्री लेने आई है। ये सुनते ही सुरेखा … Read more

मेरी ननदें मेरे लिए बोझ नहीं है ( भाग -2) – अर्चना खंडेलवाल : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : “भैया, आप मुझे बार-बार बोझ कहकर बुला रहे हो, कल को आपकी बेटी भी बड़ी होगी तो वो भी बोझ होगी, उसकी शादी भी जल्दी ही बिना उसकी मर्जी के कर दोगे क्या” ? नीरजा ने सवाल किया तो रमेश और सुरेखा चुप हो गये। भाई और भाभी के दबाव … Read more

मेरी ननदें मेरे लिए बोझ नहीं है ( भाग -1) – अर्चना खंडेलवाल : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : ये क्या तुम वापस मायके आ गई!! तुम्हें शर्म नहीं आती, जब देखो मुंह उठाकर चली आती हो? ससुराल में मन नहीं लगता क्या? सुरेखा भाभी ने ताना मारा तो नीरजा अंदर तक हिल गई, पर वो भाभी का ये कड़वा ताना भी सह गई। अभी दो साल पहले ही … Read more

हमें बस आपका आशीर्वाद चाहिए – अर्चना खंडेलवाल   : Moral Stories in Hindi

“रंजन बेटा, तेरे बाबूजी का चश्मा टूट गया है, आज नया बनवाकर ले आना, इन्हें अखबार पढ़ने में बहुत दिक्कत होती है।” निर्मला जी ने अपने बेटे से कहा। “ठीक है, मम्मी दे दो समय मिला तो बनवा लूंगा, और वो चश्मे का फ्रेम लेकर चला गया।” निर्मला जी अपने पति और बेटे बहू के … Read more

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