प्रेमकड़ी – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

नीलू अपने पति शिशिर को खाना देकर तैयार ही हो रही थी कि उसके फोन पर   कॉल आया । नीलू ने  शिशिर को कहा..”शिशिर ! जरा देखिए  किसका फोन है, मैं तैयार हो रही हूँ । शिशिर ने खाना शुरू कर दिया था । फिर नीलू ने कॉल उठाया तो देखा, मम्मी का कॉल … Read more

तुम्हारे जैसी बहन भगवान किसी को न दे – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

” तनु बेटा !  मिठाई खिलाने के साथ – साथ राखी बाँधते समय वचन दो अपने भाई जय को कि कभी उसे किसी परिस्थिति में अकेले नहीं छोडोगी । राखी सिर्फ बांधने का नाम नहीं , निभाने का भी वचन है । ये सब बातें बोलते हुए तनु की मम्मी सीमा की आँखें नम और … Read more

अपनापन का ढोंग क्यों ..? – अर्चना सिंह   : Moral Stories in Hindi

दो दिन से छाया बाजार करने में व्यस्त थी । काफी महीनों से घर में पूजा कराने को सोच रही थी । पर योजना बनाये गए कार्य अक्सर सफल नहीं ही होते हैं । कभी किसी रिश्तेदार की मौत, कभी उसके बच्चों की छुट्टी नहीं कभी कार्यक्षेत्र में कार्यभार ज्यादा आदि । हद तो तब … Read more

दोनो भाभियों में फर्क क्यों ? – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

“दिव्या ! ये तुमने क्या किया बेटा , ऐसे कोई करता है भला ? दोनों तुम्हारी भाभियाँ ही हैं फिर दोनों में इतना फर्क क्यों ?  दिव्या की मम्मी सुमित्रा जी दिव्या  को  टोकते हुए बोलने लगीं  जो अभी – अभी अपने भाई- भाभी के कमरे से उपहार देकर निकल रही थी ।  दिव्या ने … Read more

वादा … – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

अक्सर लोगों के मुँह से सुना है कि रूप से ज्यादा गुण का महत्व है । पर मैं नहीं मानती, मेरे साथ तो हर कदम हर मोड़ पर मेरे अपनों ने ही मुझे रूप की वजह से अनदेखा किया है । मैं पूर्णिमा ! सिर्फ नाम ही अच्छा रखा माँ – बाप ने , ज़िन्दगी … Read more

परवरिश का मान – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

दस साल का था पीयूष जब उसकी मम्मी को आर्थराइटिस की बीमारी ने बुरी तरह घेरा । पीयूष की चाची स्नेहा जब शादी के बाद दूसरी बार ससुराल गयी तो उससे मासूम पीयूष का दुखद बचपन और अपनी जेठानी ( पीयूष की माँ रूपा ) का दर्द नहीं बर्दाश्त हुआ । घर की स्थिति भी … Read more

वापसी टिकट – अर्चना सिंह: Moral Stories in Hindi

आराधना की डिलीवरी में तकरीब बीस दिन बचे थे । पहली डिलीवरी थी तो आराधना कुछ ज्यादा ही उत्साहित थी । समझ नहीं पा रही थी वो किसके लिए क्या खरीदे और किसके लिए क्या करे । एक तरफ तो उसे भर्ती होने की चिंता थी तो दूसरी ओर उसे अनिमेष की मम्मी का तानाशाही … Read more

मायका..अपना या पराया – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

ट्रेन अपनी रफ्तार में तेजी से भागे जा रही थी,नीलू एकटक खिड़की में मौन साधे गुमसुम सी अपनी दुनिया मे मग्न थी। पुरानी बातें जेहन में बार बार घूम रही थी। माँ हमेशा कहती थीं-“ऐसे मत करो, वैसे मत रहो, ऐसे पहनो,वैसे न पहनो। तरीके से रहना चाहिए, क्योंकि बेटियों को पराये घर जाना है, … Read more

नई सीख-अर्चना सिंह Moral stories in hindi

आज बच्चों की परीक्षा की कॉपी जांचते – जांचते काफी समय लग गया। मधु ने एक नज़र घड़ी पर डाली, शाम के 5 बज चुके थे। थकी सी वो सुस्ताये अलसाये कदमों से चल कर वह घर घुसी तो 6 बजने वाले थे। घर के अंदर आकर उसने झांका तो कोई न दिखा, फिर उसने … Read more

अच्छा पाने की उम्मीद हो तो अच्छा देना चाहिए – अर्चना सिंह : Moral stories in hindi

मालती जी के गृहप्रवेश की तैयारी चल रही थी । अपनी ननद अनुपमा को उन्होंने महीने भर पहले ही बोल रखा था । मालती जी ने अपनी इकलौती बेटी प्रीति को कॉल करके कहा..”बुआ और उनके परिवार के लिए कुछ उपहार और कपड़े वगैरह लेना है , आ जाती बेटा तुम तो शॉपिंग करा देती … Read more

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