आई माँ – मंगला श्रीवास्तव

 शारदा आज मेरी जरूरी मीटिंग है कम्पनी में मुझको जल्दी जाना है ,  तुम सुदीप को संभाल लेना उसका ध्यान रखना दूध पिला देना काम पड़ा रहने देना बाद में कर लेना। यह कहकर अमिता जी अपने तीन महीने के मासूम बेटे को छोड़ पति नरेंद्र के साथ बाहर निकल गई थी। शारदा  घर में … Read more

दिल का रिश्ता”  – ऋतु अग्रवाल

इसे कहानी कहूँ, संस्मरण या मेरे दिल का सबसे नाजुक कोना। मैं यह निश्चित करने में नाकाम हूँ।शायद इतना प्यार कोई किसी से नहीं कर सकता जितना मैंने उससे और उसने मुझसे किया। बहरहाल, यह मेरी जिंदगी का सबसे प्यारा और पीड़ादायक हिस्सा है।         बात तब की है जब मैं आठवीं कक्षा में पढ़ती थी। … Read more

एक शहीद के उद्गार…

माँ, जन्म तूने मुझे था दिया आज अंतिम सफर पर मैं चल दिया पर, दुखी न होना, कोख लजाई नहीं मैंने तनकर सीने पर गोली खाई है मैंने अंतिम समय भी गोद तेरी याद आई छुटकी की तरह करनी पड़ेगी ,मेरी भी विदाई लेकिन माँ मेरी, तुम आँसू बहाना नहीं क्योंकि  तेरे बेटे ने हार … Read more

वो बचपन मेरा लौटा दो ना

जिंदगी एक मौका दिला दो ना , वो बचपन मेरा लौटा दो ना ,,,,, वो माँ का आंचल ओढ़ा दो ना, वो पापा की चवन्नी दिला दो ना,   वो सखियां पुरानी मिला दो ना , जिन्दगी एक मौका दिला दो ना , वो बचपन मेरा लौटा दो ना ,,,,, वो भाभी का प्यार दिला दो … Read more

बेटी

बेटी चौथी बार भी बेटे की आस में,घर में पैदा हो गयी थी अनचाही।हाय रे! फिर से छोरी ही जन्मी है!दादी के लिए बड़ा मलाल बन गयी थी। अपने पूरे हिस्से के लिए लड़ती,मुँहजोरी कर अपनी टेक पर अड़ती,छोरी! चुप न रह सके है बड़ों के सामने?बड़ी बहनों के लिए, वो सवाल बन गयी थी। … Read more

बेटियाँ… 

हाँ, बेटियाँ बदल जाती है,हर फरमाइश को पूरा करवाने वाली,  वो जिद्दी, बेटियाँ भी बदल जाती है,लेटेस्ट मोबाइल के वर्जन की दीवानी,  पुराने वर्जन के मोबाइल से संतुष्ट हो जाती,गोलगप्पे के लिये मचलने वाली बेटी,    अब खाने से पहले हाथ रोक देती,     किसी और को तो कुछ नहीं चाहिये,     हाँ, बेटियाँ बदल जाती है,     स्कूल … Read more

तुम पराया धन नही मेरा स्वाभिमान हो – अनुपमा

शुभी का फोन बज रहा था , उठा ही नही पा रही थी , सुबह सुबह इतना काम होता है ना घर मैं ,आकाश देख भी रहा था फिर भी उसने न ही तो फोन देखा न ही उसे लाकर दिया । खैर फ्री हो कर शुभी ने अपना फोन चेक किया सबसे पहले , … Read more

सखियाँ

आज भी बिलकुल नहीं बदलीनब्बे के दशक ,वाली मेरी सखियाँआज भी यादें सहेजे नजर आयीजैसे पलकों तले ,सहेजी गयी अखियाँआज भी सखियों को मैंने मासूम पायाजैसे स्कूल काॅलेज का, बीता वक्त लौट आयाआज भी वो स्वभाव से शरारते करती नजर आयीजैसे फिर जी रही हैं बचपन,और अल्हड़ तरुणाईआज के दौर में सखियाँ समय के साथ … Read more

एक औरत की दास्तां

एक औरत की दास्तांमैंने क्या माँगा तुमसे चंद लम्हें जो तुमने कभी दिए ही नहींवफ़ा और रिश्ते जो कभी मेरे हुए ही नहींघर की दरो दीवार भी कभी मेरी बनी नहींबस उलझी सी रही ज़िन्दगी ताने बानो मेंकभी तू ही नहीं बना मेरा आशियाने मेंअब टूट गया हर भरम अनजाने मेंवो दास्तां बन गए अपने … Read more

मैं समय हूं

मैं समय हूंमैं कभी रुकता नहींमैं कभी थकता नहींदिवस, वर्ष, सदियां और युग पार करता जाता हूंबस आगे बढ़ता जाता हूंमैं समय हूंकोई कहता अच्छा हूं मैंकोई कहता बुरामैं निर्विघ्नं, निर्विचार आगे बढ़ता जाता हूंमैं कभी थमता नहींमैं समय हूंजो कहता आज नहीं,मैं कल करूंगाउसका कल कभी आता नहींआगे वह बढ़ पाता नहींमैं समय हूंजो … Read more

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