मजदूर या मजबूत – गोविन्द गुप्ता

मजदूर शब्द आते ही सर पर अंगोछा बंधे चेहरे पर झुर्रियां और कुछ सामान ढोते या ठेली चलाते मजदूर याद आ जाते है मुम्बई दिल्ली जैसे शहरों में देश के विभिन्न हिस्सों से रोजगार की तलाश में आये मजदूरों की संख्या लाखो में है,लेकिन सब कुछ न कुछ काम पाकर खुशी पूर्वक जीवन यापन कर … Read more

चाय-नाश्ता – पुष्पा कुमारी “पुष्प” 

“आइए बैठिए शोभा जी!.लगता है आज सूरज पश्चिम से निकला है!” यह कहते हुए अंजना ने पड़ोस में रहने वाली अपनी सहेली शोभा को बैठने के लिए वही रखी कुर्सी खिसका दिया। कुर्सी पर बैठते हुए शोभा धीरे से बोली.. “जरा वकील साहब से मिलने आई थी!” “वकील साहब से!” अंजना को हैरानी हुई। असल … Read more

सवाल हानि-लाभ का – नीलम सौरभ

रोज की तरह शाम को रुनू की दादीमाँ अपनी हमउम्र सखी के साथ जब पास वाले मन्दिर गयीं, वापसी में उन्हें सड़क के किनारे ठेले पर सजी ताज़ी सब्जियों के साथ आलू, प्याज भी बिकते दिख गये। वे भी एकदम फ्रेश दिख रहे थे। सुबह-सुबह बहू की बातें कानों में पड़ी थीं, कि आलू-प्याज दोनों … Read more

गुमशुदा – गीतांजलि गुप्ता

बहुत याद करने पर भी उसे कुछ याद नहीं आ रहा था न घर याद था न नाम कुछ भी याद नहीं उसे। भूख प्यास से तड़प रहा था। मैले कपड़े गंदे हाथ देख विचलित हो रहा था। सड़क के किनारे पटरी पर सोया पड़ा था। दूर देखा तो शहर दिखाई दे रहा था। सड़क … Read more

मां का प्यार – ऋतु गर्ग

घर में सबसे छोटी चुलबुली रीता को मां का गुस्सा करना एकदम भी अच्छा नहीं लगता था। छोटी-छोटी बात पर टोकना और साफ सफाई का ध्यान रखना मां के व्यवहार में शामिल था।  रीता की मां अनपढ़ थी लेकिन समझदार काफी थी हिसाब किताब तो जैसे उंगलियों पर ही आता था। हमेशा अपने व्यवहार से … Read more

माँ से माँ तक – गोविन्द गुप्ता

आसमान में तारे गिनती सुकन्या ईश्वर से कह रही थी कि मेरे किस जन्म की सजा आपने मुझे दी कि मुझे शादी के 10 वर्ष बाद भी कोई औलाद नही दी,और बस 2 बूंद आंसू छलके जमीन पर गई पड़े , यही क्रम विवाह के एक वर्ष बाद से हर रात चल रहा था,डॉक्टरों का … Read more

ममता का रिश्ता – कंचन श्रीवास्तव

ये कोई कहने की बात नहीं है कि जब दिन गर्दिश भरे हो तो कोई साथ नहीं देता,चाहे खून का ही रिश्ता क्यों न हो। कभी कभी सोचता हूं रिश्ता तो खून का ही मां के साथ भी होता है फिर वो क्यों नहीं बदलती। मुझे अच्छे से याद है जब हम चारों भाई बहन … Read more

स्वार्थ या प्रेम- एक सबक Blog post by Govind Gupta

अचानक तालियों के शोर से सभागार गूंजने लगा पैदल जाते हुये कुछ लगा कि देखे क्या हो रहा है मैं भी हाल में चला गया हम समझे कि कोई नेता का स्वागत हो रहा होगा पर यह क्या एक युवा सुंदर लड़की की शादी एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति से हो रही थी,थोड़ी उत्सुकता और … Read more

माँ जी आपकी जगह बेडरूम मे नहीं स्टोररूम मे है – Blog post by Anshita Maheshvari

मोनिका और रवि के लिए आज बहुत ही खुशी का मौका था, क्योंकि उन दोनों की मिली जुली मेहनत का नतीजा मुंबई जैसे महानगर में उनका अपना मकान उसका  मुहूर्त होने वाला था।  मोनिका खुशी में पागल हुए जा रही थी।  वह बार-बार रवि से कह रही थी- यह सब कुछ सपने की तरह लग … Read more

एक बेटी की कहानी, उसकी जुबानी | Blog By Sushma Yadav

*** है कहानी बहुत पुरानी,, एक लड़की की ज़िन्दगी की संघर्ष भरी कहानी,, उसके पढ़ने के प्रति उसकी जुनून की कहानी,,शायद आपको भी पसंद आए ये कहानी,,    तो सुनिए,,उसी की जुबानी,, **************** मैंने जब से होश संभाला, अपने को नागपुर में नानाजी के यहां पाया,, मां ने कहा, कि तुम्हारे बाबूजी का ट्रान्सफर बार बार … Read more

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