अब आप ही मेरे पिता हैं – नीरजा कृष्णा #लघुकथा

उसने धीरे से दरवाजा खोल कर देखा। रामेश्वर बाबू…. उसके ताऊ जी….गहरी नींद में थे। एकदम क्लांत चेहरा… घोर थकावट और दुख की गहरी छाया उनके चेहरे पर बिखरी हुई थी। एक बार तो उसे लगा…ना उठाया जाए…सो लेने दिया जाए पर घड़ी पर निगाहें गई तो….अरे शाम के चार बज गए थे,” ताऊ जी! … Read more

आपबीती , एक, पुरूष की – प्रीती सक्सेना

  कहानी के आरंभ के पहले ही बताना चाहूंगी,,   ये आपबीती है एक,, पुरूष की,, जिसने मैसेंजर के माध्यम से मुझ तक पहुंचाई है,,, मुझसे, न्याय की उम्मीद रखी है,,, उम्मीद है,, जस की तस लिख पाऊंगी। गरीब माता पिता की सन्तान,,, थोड़ी सी खेती, खाने वाले ढेर,, भर पेट खाना, और पेट भरना, किसे कहते … Read more

मैनेजर – भगवती सक्सेना गौड़ #लघुकथा

मैनेजर नाम का मजदूर दीवाली की सफाई बड़े मन से कर रहा था। रश्मि अकेली घर पर थी, दोनो बेटे दिल्ली में कार्यरत थे, दीवाली में सबके आने का कार्यक्रम था। थोड़ी थोड़ी देर में आकर काम का मुआयना कर लेती थी, अचानक उसकी नजर गयी,  मैनेजर बड़े ध्यान से टेबल पर रखी अश्विन संघी … Read more

प्रसाद – दीप्ति सिंह #लघुकथा

राशि का गोलमटोल बेटा शुभ जब से घुटने चलने लगा है माँ को खूब दौड़ाता है गिरी हुई वस्तुओं को नियत स्थान पर रखते -रखते राशि थक जाती है कभी कभार तो भोजन करना भी दूभर हो जाता है। “राशि …राशि ”  की आवाज लगाते हुए मकान मालकिन रचना ऊपर आयी।  “क्या बात है दीदी … Read more

कसक – अनु ‘मित्तलइंदु ‘

बचपन से एक दूसरे को देखते बड़े हुये थे हम दोनों । मेरे घर के सामने ही घर था उसका । उसके पिता शहर के नामी वकील थे । और हम लोग उनके घर के सामने की बिल्डिंग में थर्ड फ्लोर पर किराये पर रहते थे । मेरे परिवार में मेरी बड़ी बहन अनीता जिसे … Read more

पापा की नफ़रत- सुषमा यादव

बेटियां तो पापा की परी होती हैं,,  ,,उनका अभिमान और गौरव होती हैं,, ,,, फिर ऐसा क्या था कि उसके पापा अपनी बेटियों को अभिशाप समझते थे,, उनसे नफ़रत करते थे,,, ,,, चलिए,,,मिलते हैं एक ऐसे ही पापा से,,, ,,, मेरी हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी हुई थी, दिल्ली में,, मुझे लगभग छः महीने तक नीचे झुकना … Read more

बांहों में – कंचन श्रीवास्तव

वो  आखिरी शख्स  था  मेरी जिंदगी में  जिसने मुझे  पहचाना जब  मैंने  उसकी बीमारी में  जी जान से सेवा की  लाख  बुलाने पर भी  घर न गई  ये  कहके  कि जब तक  सांसें हैं  संग रहने दो सब कुछ  दोबारा मिल जाएगा पर  बाप का साया सर से उठा तो तो फिर ना मिलेगा जिसे  … Read more

वो अंतिम कुछ क्षण,पापा के संग – डॉ पारुल अग्रवाल

#पितृदिवस पापा,कहने को छोटा सा शब्द पर अपनेआप में पूरी दुनिया समेटे हुए।आपकी कमी को कोई नहीं भर सकता। सब कहते हैं कि मायका माँ से होता है पर मेरे लिये तो मेरा मायका आपसे शुरु होता था। बहुत सारी बातें बिना कहे रह गई। पापा मेरे से दूर उस समय चले गए जब करोना … Read more

वो पगली – Motivational Short Story In Hindi 

जोर जोर से दरवाजा खटखटाने की आवाज सुन कर मैंने भाग कर दरवाजा खोला तो एक औरत अजीब सा हुलिया ..अंदर घुस आई।मैं एक दम से बहुत ज्यादा डर गई थी।उसने मुझे कुछ नही कहा सीधा वाशरूम में घुस गई। बाहर आकर उसने वाशबेसिन से हाथ मुँह धोया, कुल्ला किया और जैसे आयी थी वैसे … Read more

आईना – डॉ पारुल अग्रवाल

रात को पार्टी थी। पीने-पिलाने का दौर कुछ देर तक चल पड़ा था। सुबह के 11 बजे तनुजा की आंख खुली तो उसने किसी तरह डगमगाते कदमों से बाथरूम की तरफ कदम बढ़ाया। मुंह पर जैसे ही पानी के छपके मारें तो आईने में उसे अपना एक झुर्रीदार भयावह सा चेहरा दिखाई दिया। ये देखकर … Read more

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