औलाद की उपेक्षा का दंश – सुषमा यादव

Post Views: 3 जिएं तो जिएं कैसे बिन तुम्हारे,, **** ,,, कुछ दर्द बह जाते हैं, आंसू बनकर,, कुछ दर्द चिता तक जातें हैं,,,**** ,, कुछ स्मृतियां ऐसी होती हैं, जो कभी भी धूमिल नहीं होती हैं, जिंदगी में कुछ अपने बहुत ही अज़ीज़ होते हैं, जो हमसे बिछड़ जाते हैं,,हम उन्हें विस्मृत नहीं कर … Continue reading औलाद की उपेक्षा का दंश – सुषमा यादव