औलाद के मोह के कारण वो सब सह गई – अनिता मंदिलवार सपना : Moral Stories in Hindi

   मीनू बहन जी , मीनू बुआ जी । सबका यही संबोधन था उनके लिए , ये मात्र संबोधन नही था । संबोधन जैसे जुड़े रिश्ते भी वैसी ही आत्मीयता और उतना ही सम्मान लिए हुए था । उनके जीवन की कहानी सबसे अलग है ।बचपन तो सामान्य ही था । छ: बहनों में सबसे लाडली । पर आर्थिक स्थिति की बात करें तो अभावों भरा ही था उनका बचपन । ब्याह के बाद पैसे की कमी तो न थी पर किस्मत में एक साथ सभी खुशी कहाँ लिखी होती है ।

कुछ वर्ष तो यूँ ही बीत गए । उसके बाद दु:ख का ऐसा पहाड़ टूटा कि सन्न रह गयी । पति का देहांत, ओह…इतनी कम उम्र में जीवन साथी का यूँ जीवन से चले जाना वज्रपात ही था । एक बेटा और गर्भ मे पल रही संतान के लिए तो जीना ही था उसे । उसकी सास बहुत प्यार दिखाती, पर उनका प्यार बस उसके बेटे समीर के लिए ही था । उसने जैसे ही बिटिया को जन्म दिया उसकी सास के व्यवहार में परिवर्तन दिखाई देने लगा

और परिवर्तन भी ऐसा कि इंसानियत को शर्म आ जाए । ताने-उलाहने तो जिगर को छेदते ही साथ ही बिटिया के साथ भेदभाव असह्य था ।  जैसे-तैसे जीवन कट रहा था । क्या करे, क्या न करे । असमंजस में थी, वह सोचने पर विवश थी मेरी बेटी ने क्या गुनाह कर दिया जन्म लेकर या मैंने बेटी जन्म देकर कौन सा पाप कर डाला ? इतने वर्षो से औलाद के कारण ही वह सब सह गई और अब तक सह रही थी ।

          बहुत दिनों तक इन्हीं झंझावातों से उलझती रही पर कोई उत्तर न मिल सका । आखिर उसने एक बड़ा निर्णय ले लिया और अपनी छोटी सी बिटिया को लेकर घर से निकल पड़ी ये सोचकर कि बेटे से तो उसकी दादी को बहुत प्रेम है उसे अच्छे से रखेगी । बिटिया के लिए अच्छे जीवन की तलाश में चल पड़ी अनजान रास्तों पर जीवन का नया दर्शन करने, जीवन के नये आयाम गढ़ने । 

इस कहानी को भी पढ़ें: 

ममता – परमा दत्त झा : Moral Stories in Hindi

            समीर के दिमाग में उसकी दादी ने माँ के खिलाफ ऐसा जहर भरा कि जीते जी वो माँ को अपना न सका । कभी माँ से मिला नही । उसकी दादी के देहांत के बाद भी उसके दिमाग में ये बातें लकीर की तरह दिमाग को कुरेदती रही कि माँ ने उसे बचपन में अपने शौक को पूरा करने के लिए उसे छोड़ दिया ।

मीनू ने बहुत संघर्ष के बाद पाँचवीं की परीक्षा दी, फिर आँठवी, इसी तरह उसने बारहवीं उत्तीर्ण की । खाली समय में सिलाई करती ।और इस तरह शिक्षिका पद के लिए उसका चयन हुआ । बहुत खुश थी वह । अब अनी बेटी को नयी उड़ान दे पायेगी ।

           समय पंख जैसे उड़ने लगे । उसने अपनी बिटिया को बहुत अच्छे संस्कार दिए । आज अच्छी नौकरी में है । उसका ब्याह भी हो गया और अपने परिवार में व्यस्त है । मीनू सेवानिवृत्त हो चुकी है बिटिया कहती है माँ हमारे साथ रहो पर मीनू कहाँ जाने वाली थी ।

        मीनू आज अकेली है पर उसने अपने आप को व्यस्त रखने के लिए एक बेसहारा बच्ची रेखा को गोद ले लिया है । उसे पढ़ा लिखा कर योग्य बनाया । योग्य वर से विवाह किया ।आज बेटी दामाद साथ खुश है । समय के साथ जीना सीख लिया । 

अनिता मंदिलवार सपना

साहित्यकार, व्याख्याता 

अंबिकापुर सरगुजा छत्तीसगढ़

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!