औकात नहीं भूला…रश्मि झा मिश्रा : Moral stories in hindi

Post Views: 4 वह शायद भिखारी ही था… एक पैर से लंगड़ा… अपनी बैसाखी टेकता… स्टेशन पर खड़ी गाड़ियों के पास हाथ फैला रहा था… कभी एक-दो खिड़कियों पर कुछ मिल भी जाता… कभी सिक्का.… कभी रोटी… कभी सड़े गले फल… सबको झोलियों में डालता हुआ फिर दूसरी खिड़की के पास पहुंच जाता था… कुछ … Continue reading औकात नहीं भूला…रश्मि झा मिश्रा : Moral stories in hindi