औकात – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi
Post View 4,358 “सुनिए जी, त्योहार का समय है, सोच रही हूॅं बच्चों के लिए कुछ कपड़े ले आया जाए।” माधवी फलियां छीलती हुई अपने पति अभय से कहती है। “क्यों, बच्चों के पास कपड़े नहीं हैं क्या।” अभय समाचारपत्र मोड़ कर रखते हुए तुनक कर कहता है। हाॅं हैं, लेकिन त्योहार पर तो नए … Continue reading औकात – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed