सुहानी आज बहुत सोच में डूबी हुई थी। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस पल को किस नजरिए से देखे। आज उसके घर लड़के वाले आने वाले थे, और यह एक अहम दिन था।
उसकी मां ने देखा कि सुहानी बहुत चिंतित और घबराई हुई है। वह एक पल के लिए चुप बैठी थी और बार-बार खिड़की से बाहर झांक रही थी। उसकी मां ने सुहानी की आंखों में चिंता देखी और प्यार से उसके पास आईं।
“क्या बात है बेटा, बहुत सोच रही हो?” मां ने प्यार से पूछा।
सुहानी ने सिर झुका लिया, और फिर धीरे-धीरे बोली, “मां, मुझे समझ में नहीं आ रहा कि मुझे क्या करना चाहिए। इतने सालों से किसी पर भरोसा करने की हिम्मत जुटाई थी, अब जब कुछ अच्छा हो रहा है, तो डर लगने लगा है। क्या अगर यह सब गलत हो जाए?”
मां ने उसके सिर पर हाथ रखते हुए कहा, “तुम्हें किसी से डरने की जरूरत नहीं है। ज़्यादा सोचने से कुछ नहीं होता, सब ठीक होगा। तुम जो हो, वही सबसे अच्छा हो। और याद रखो, जो होता है, अच्छा ही होता है।”
सुहानी ने एक लंबी सांस ली और धीरे-धीरे मां के कहने पर तैयार हो गई। थोड़ी देर में लड़के वाले आ गए। वे सब सुहानी को देखकर खुश थे। लड़का, श्रीकान्त, एक विनम्र और सुलझे हुए व्यक्ति के रूप में सामने आया। उसके चेहरे पर एक मासूमियत और विश्वास था, जो सुहानी को थोड़ी राहत देने वाला था।
लड़के के परिवार के लोग सभी आदर्श भारतीय परंपराओं के अनुसार बातचीत कर रहे थे। एक सामान्य मुलाकात के बाद, श्रीकान्त ने सुहानी से अकेले में बात करने का प्रस्ताव दिया। यह एक ऐसा मौका था, जिसमें दोनों अपनी सोच और इरादों को एक दूसरे के सामने रख सकते थे। सुहानी के मां-पापा ने सहर्ष मंजूरी दे दी, और वे दोनों एक कमरे में बैठ गए।
श्रीकान्त ने सबसे पहले बात शुरू की, “देखिए, मुझे आप काफी पसंद आईं, और मैं जानता हूं कि आप मुझसे कुछ सवाल पूछना चाहेंगी। क्या आप मुझसे कुछ जानना चाहती हैं? क्या मुझे आप भी पसंद आईं?”
सुहानी थोड़ी असहज महसूस कर रही थी, लेकिन उसने धीरे-धीरे जवाब दिया, “मुझे एक बात बतानी है। मैं पहले एक लड़के को बहुत पसंद करती थी। लेकिन जल्दी ही मुझे यह समझ में आ गया कि वह सही लड़का नहीं था। और फिर मैंने उससे अपना रिश्ता तोड़ लिया।”
श्रीकान्त ने उसकी बातों को ध्यान से सुना और फिर कहा, “क्या वह लड़का सौरभ नाम का था?”
सुहानी चौंकी, और हैरान होकर बोली, “आपको कैसे पता?”
“आपके बारे में बात करते हुए मैंने उसके बारे में भी सुना था,” श्रीकान्त ने कहा। “आपको भी उसने कॉल किया था, है न? वह जानता था कि आपके रिश्ते की बात चल रही है और उसने कोशिश की थी कि सब कुछ खराब हो जाए।”
सुहानी ने सिर झुका लिया, और फिर धीरे से कहा, “हां, यही सच है। जब उसे पता चला कि मेरे परिवार वाले मुझे आपके लिए पसंद कर रहे हैं, तो उसने कॉल करके रिश्ता तुड़वा देने की धमकी दी थी। लेकिन अब मुझे लगता है कि जो हो रहा है, वह सही है। आप तो शादी के लिए तैयार हैं, और इस बार मुझे डर नहीं है।”
श्रीकान्त ने थोड़ी देर के लिए चुप रहकर सुहानी की बातों पर विचार किया। फिर उसने कहा, “देखिए, इस सबमें आपकी कोई गलती नहीं है। सौरभ ने जो किया, उससे साबित हो गया कि वह किस तरह का लड़का था।
अब आपसे कोई भी सच बोलने का अधिकार नहीं रखता। और हां, मुझे ऐसा लगता है कि अतीत की परछाई वर्तमान में नहीं पड़नी चाहिए। अगर हम अतीत को वर्तमान में लाएंगे, तो हम अपना भविष्य खराब कर सकते हैं।”
सुहानी ने उसकी बातों को सुना और फिर हल्की सी मुस्कान के साथ कहा, “आप जैसे सुलझे हुए विचारों वाले व्यक्ति से शादी करना मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।”
श्रीकान्त ने मुस्कुराते हुए कहा, “हम दोनों को एक दूसरे के साथ समय बिताने और एक दूसरे को समझने का पूरा मौका मिलेगा। मुझे यकीन है कि हम दोनों का रिश्ता बहुत अच्छा होगा।”
कुछ ही समय बाद, जब दोनों ने एक दूसरे के विचारों को समझा, तो कमरे से बाहर शहनाई बजने की आवाज सुनाई दी। यह संकेत था कि अब शादी की रस्में शुरू होने वाली थीं। सुहानी की आंखों में आंसू थे, लेकिन ये आंसू खुशी के थे। उसे समझ में आ गया था कि उसने सही फैसला लिया है। और अब उसके जीवन का नया अध्याय शुरू होने वाला था।
बरखा शुक्ला