Post View 7,067 “माई! सरदार जी आये हैं, तुम्हें ढूंढ रहे हैं” “कौन सरदार जी?” “वही गुरुद्वारे वाले, जो कभी कभी भंडारा रखते हैं” इतने बड़े आदमी को मुझ गरीब औरत से क्या काम आन पड़ी, या कुछ गलती हो गई हमसे। मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। “अच्छा सुन तू ये भात … Continue reading अतीत – विनय कुमार मिश्रा
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