अटैची में ज़िन्दगी – सुनीता मिश्रा : Moral Stories in Hindi
Post View 2,134 टैक्सी, जैसे ही घर के सामने आकर रुकी, कुसुम की आँखों में बादल तिर आए। ये कोई नयी बात नहीं,बादल और कुसुम की आँखें,दोनों में बहनापा हो गया है। घटना और परिस्थितियों से सामना होते ही दोनों आपस में प्रगाढ़ आलिंगन कर लेतीं हैं। घर के बाहर चारों तरफ कुछ जंगली पेड़ … Continue reading अटैची में ज़िन्दगी – सुनीता मिश्रा : Moral Stories in Hindi
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