अस्तित्व – स्मिता सिंह चौहान

Post Views: 4 सरिता जी अपनी खिड़की पर खड़ी खुले आसमां में चहचहाती चिड़ियो को देखकर आनंदित हो रही थी ।तभी रितिका (दोस्त)ने उसे टोकते हुए कहा “चाय यही पियें या अन्दर ।ऐसे किसे देखकर मन्द मन्द मुस्कुरा रही हो ।” “यही पी लेते हैं, अरे कुछ नही इन पक्षियों को जब भी देखों, मन … Continue reading अस्तित्व – स्मिता सिंह चौहान