रोज रोज की चिक चिक से तंग आ गयी हूं”!”
आखिर गरिमा ने मौन तोड दिया !”
क्यूँ क्या हुआ “?
पति विशाल ने पूछ ही लिया!”
आखिर क्या मिलता है ,हर दिन नया षडयंत्र रचकर”!
गरिमा देखो ,अपने मन की गलतफहमी दूर कर लो ,ऐसा कुछ नही है””!परिवार मे ऐसी छोटी छोटी बाते होती रहती”!
विशाल तुम कब समझोगे मुझे”?
गरिमा मै ,सब समझता हूँ “नुकसान की मै “भरपायी कर दूंगा!
पर हरबार तुम ही क्यूं”?
हरबार की तरह इस बार भी ,गरिमा की ,आंखे भींग गयी!
चलो बैठो”” पति विशाल गरिमा ,का हाथ पकड कर बैठाते हुऐ बोले”!
एक छोटी सी बात के लिए विशाल नही चाहता था,की घर मे,बवाल हो!”
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वो बडे भाई है हमारे,तुम मेरी पत्नी हो ,मै नही चाहता की अब तुम ,किसी बात की चिन्ता करो”!
कैसे समझांऊ तुम्हे,छोटी छोटी बातें ही तो नासूर बन जाती है! पच्चीस वर्ष हो गये,कोई भी ,ऐसा समय बताओं ,जब मुझे गलत न ठहराया गया” हो!अच्छा होना गलत है क्या”?
फिर से बिफर उठी,गरिमा”!
मुझे पता है तुम अच्छी हो ,इसलिए तो मेरे हिस्से मे भगवान ने भेजा है तुम्हे “!
चलो उठो,हमेशा की तरह आंसू पोछों,और मुझे कुछ खाने””! को दो”!
अरे ,मै तो भूल ही गयी” अभी लायी “” आंचल से आंसू पोछकर, गरिमा रसोई मे घुस गयी!
विशाल गरिमा के जाने के बाद पुरानी यादो मे खो गया!
“
मां लडकी मुझे पंसद है!
बडे घर की है नाज और नखरे भी बडे होगें”!
मां ,मै संभाल लूंगा”!विशाल बोला”!
फिर मत कहना,”””सबकुछ सुन्दरता नही होती बेटा”””?
मां ,”””!
ठीक है””जब तुझे पंसद है,तो मै भी सहमत हूं!
दो महिने बाद ,नाजुक सी गरिमा लाल साडी मे ,ब्याह कर विशाल के घर आ गयी!
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सासु मां थोडी अधिक स्वाभिमानी थी!तो अक्सर उसका स्वाभिमान गिराती रहती””!परन्तु गरिमा हमेशा ख्याल रखती की उनके मन को ठेस न पहुंचे”!
धीरे धीरे समय के साथ ,सासू मां भी, गरिमा के प्रति ,स्नेह रखने लगी””,इस बीच ,विशाल का बिजेनस बढ गया तो,बडे भाई के मन मे ,जलन पैदा हो गयी””!भाभी के मन मे पहले से ही,गरिमा के लिए, विषबेल थी”!पर अब और ज्यादा हो गयी!
पीठ पीछे,वो ,सास और पति को भडकाती रहती”!
जब बेटे का जन्म हुआ तो पूरे घर मे खुशियाँ फैल गयी!
परन्तु, किसी ने गरिमा को बधाई नही दी””!
गरिमा के मन मे ये,बात किर्चि की तरह,चुभ गयी!
जेठनी के बच्चा न था!तो विशाल और सासू माँ की जिद पर ,गरिमा ने अपना बेटे को,गोद खुलने के लिए जेठानी ,को गोद दिया!
कुछ समय बाद जेठानी के जुडवा बच्चे हो गये!
फिर गरिमा को उसका बेटा वापस मिल गया”!
समय के साथ ,सासू मां ,स्वर्ग सिधार गयी!और विशाल का सारा धन ,परिवार मे खर्च होने लगा”!
गरिमा छोटी होने की वजह से कुछ बोल न पाती!
फिर एक दिन ,जेठ जेठानी बेवजह ही ,विशाल पर ,आरोप लगा बैठे,की सबकुछ हडप लिया,,!
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विशाल गरिमा और बच्चे के साथ ,एक छोटे से रूम मे रहने लगा!!गरिमा हमेशा उसके साथ खडी रही” भाई भाभी ,बेदर्दी की तरह ,बेवजह उससे अलग हो गये!!
बच्चे बडे होने लगे,समय से पहले ,विशाल ने बेटे का विवाह कर दिया!और अपने ही घर के एक हिस्से ,मे रहने लगा”!
क्षमा मांगते हुऐ बडे भाई ने भी ,उसी घर के एक ,हिस्से मे डेरा जमा लिया!
एक ही घर मे कभी खुशी कभी ,गम””जैसा महौल बनने लगा!
आये दिन बडे भाई सा,””कुछ नया करने लगे,उनका मकसद सिर्फ इतना था!की गरिमा को नीचा ,दिखाकर, अपना और अपनी ,पत्नी का वर्चस्व बनाना!
इसमे उन्हे कामयाबी भी मिल रही थी!गरिमा समझ न पा रही थी की आखिर कमी है कहां”!
बेटा बहू ,पति ,यहा तक की रिश्तेदार भी ,उससे कट रहे थे!
वो धीरे धीरे, चिन्ता मे घुलने लगी”!धीरे धीरे ,उसने खुद को ,सबसे अलग कर लिया! ये बात जेठ को नागवार गुजरने लगी”!की गरिमा ,उनकी इज्जत नही करती”””!
ऐसा विशाल को भी लगने लगा”!यहां तक की ,बेटे को भी ,यही लगने लगा””!धीरे धीरे गरिमा मौन होने लगी”!
जेठनी को लगता की गरिमा घमंडी हो गयी ,पर गरिमा ,इस बात से अंजान, खुद को सबसे अलग कर एकांत मे रहने”लगी,उसके मन मे ये बात घर कर गयी,!की उसे कोई पंसद नही करता!”
इतना होने के बाद भी ,अकेले पन और घुटन से जूझ रही गरिमा, मे कमियां ही कमियां खोजी जाने लगी!
चलो,आ जाओ’,थाली रखी है ,रोटियां ठंडी हो गयी! कहां खोये हो विशाल”?
सुनो इधर आओ मेरे पास ,मै हूं न तुम्हारे साथ और सदा रहूंगा !मेरे रहते तुम ,इस परिवार से तो क्या ,दुनियां मे किसी से नही हार सकती!
आप क्या सच मे मेरे साथ है!
ये भी कोई बताने वाली बात है,तुम मेरा वर्चस्व हो”!
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पर वो जेठ जी ,मोटर बिगडने का झूठा आरोप लगा रहे है!
मुझे सब पता है,तुम्हे सफाई देने की जरूरत नही!
परन्तु “”””?
श श श अब आंसू नही देखूंगा, चलो अभी ,नये घर मे शिप्ट हो जाऐगें!
नही विशाल मुझे भी ,परिवार अच्छा लगता,मै फिर से ,कोशिश करूंगी,सबके साथ तालमेल बिठाने की”!
मेरी गरिमा””!
आज फिर से ,गरिमा की आंखो मे जीवन की चमक थी!
समाप्त –
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स्वारचित कहानी”
रीमा महेंद्र ठाकुर (वरिष्ठ लेखक सहित्य संपादक)
राणापुर झाबुआ मध्यप्रदेश भारत “
रिश्तो मे बढती दूरियां