Post View 9,786 मैंने जैसे ही आफिस की पार्किंग में कार पारक की । हररोज की तरह मेरा सेवादार सामने मेरा बेैग पकड़ने के लिए खड़ा था । “सर आपसे कोई मिलने आया है” बैग पकड़ते ही उसने कहा । मैं जल्दी से अपने ऑफिस में पहुंचा तो सामने मेरा दोस्त गुरबक्श और उसकी बेटी … Continue reading असलियत – लखविंद्र सिंह संधू
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