अपशकुन – मिन्नी मिश्रा

Post View 557  मेरा मन उदास था। घर में सन्नाटा पसरा हुआ था। पतिदेव को आफिस विदा करते ही एक विचार आया , क्यों नहीं सहेलियों से मिलकर मन को हल्का किया जाय ।झट वार्डरोब खोलकर ड्रेस निहारने लगी | लाल कोर वाली हरी सिल्क साड़ी दिखी। अरे वाह ! यह साड़ी दादाजी ने शादी … Continue reading अपशकुन – मिन्नी मिश्रा