अपनों का तिरस्कार.. दूसरों का सम्मान – संगीता त्रिपाठी 

Post View 23,021   “आंटी जी आप कैसी है, तबियत कैसी है आपकी “सुरभि यशोदा जी के पैर छूते हुये बोली        “सदा सुहागन रहो बेटा, सब ठीक है, तुम हमेशा हँसती रहती हो, बड़ा अच्छा लगता है तुम्हे देख कर,बड़ो का भी कितना ध्यान रखती हो, तुम्हारी सास तो बहुत भाग्यशाली है जो उन्हें इतनी प्यारी … Continue reading अपनों का तिरस्कार.. दूसरों का सम्मान – संगीता त्रिपाठी