अपने लिए आवाज़ स्वयं उठानी पड़ती है! – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

Post Views: 10 क्या करूं,आज  दत्ता सर बाहर गए हैं , मतलब अपना काम लैब में थोड़ी देर से भी शुरू कर सकती हूं.. मतलब करना तो है ही.. पहले कैंपस के बाहर जो  चाट का ठेले वाला खड़ा होता है, उससे गोलगप्पे खा कर आती हूं। गोलगप्पे!! इसकी तो कल्पना कर के ही प्राची … Continue reading अपने लिए आवाज़ स्वयं उठानी पड़ती है! – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi