“अपनापन” – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi
Post View 2,169 कालिंदी काकी की टोकरी लाल, नीली, पीली, आसमानी और हरी चूड़ियों से भारी पड़ी थी और जल्दी-जल्दी सर पर टोकरी रख वह कहीं जा रही थीं कि– तभी एक आवाज आई– अरे काकी—-कहां भागी जा रही हो—? हमें नहीं पहनाओगी चूड़ियां–! देखी तो वैजयंती उनके पीछे-पीछे भागे आ रही थी । अरे … Continue reading “अपनापन” – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi
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