अपनापन – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

Post View 467  शाम गहराती जा रही थी। ऑफिस में ज्यादा काम होने के कारण आज मुझे बस स्टैंड पहुँचने में देरी हो गई थी। चिंता और भय के कारण पसीना बूंद बनको मेरे माथे से टपक रहा था। धीरे-धीरे स्टैंड लोगों से खाली होने लगा था। मुझे अकेली खड़ी देख चार पांच गाड़ी वाले … Continue reading अपनापन – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा