अपना घर अपना होता है। – रजनी भास्कर ‘नाम्या’ : Moral Stories in Hindi
Post View 1,331 उसका दुग्ध सा सफेद वर्ण झुर्रियों के ताने-बाने में से झांकती लालिमा और गहरा जाती जब उसके अधरों पर निश्चल हंसी आती थी। कितना हंसती थी….. बात बात पर….. स्वयं ही कोई बात कहती और हंसती। बच्चों की सी उसकी निश्चल हंसी सामने वाले को मंत्रमुग्ध कर देती। जितनी शीघ्रता से वह … Continue reading अपना घर अपना होता है। – रजनी भास्कर ‘नाम्या’ : Moral Stories in Hindi
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