अपना घर अपना होता है – खुशी   : Moral Stories in Hindi

रीता एक महत्वकांक्षी  लडकी थी । उसे  से बचपन से ही लोगों के बडे  घर आकर्षित करते थे ।

उसे बचपन से ही अपने मामा के घर का बडा भाता था जब वो  छुटिटयो मे वहा जाती तो वहा से उसका आने का मन ही ना करता ।

अपने घर आते  ही उसका मन खराब हो जाता। दो कमरो  का छोटासा घर  जिसमे पांच लोग रहते थे ।

रीना के पिता जी मामुली अधिकारी थे ईमानदारी की रोटी  कमाते थे बच्चो को  भी समझाते जो है उसमे आराम से रहो

और उसकी  कद्र करो‌ पर रीता को हमेशा  लता कि हमारा घर भी बडा होना चाहिये हमारे पास भी बहुत पैसा होना चाहिये ।

इसीलिए वो  चिडचिड करती कभी भाई बहन से लडती कभी माँ को उलटा सीधा बोलती ।

ऐसे ही दिन बीत रहे थे । एक दिन उसके मामा उनके घर आये बातो बातो मे ही उन्होने कहा मै रीता को अपने साथ ले जाता हूॅ।

रीता के तो मन की मुराद पुरी हो गई और वो अपने मामा के घर आ गयी ।  शुरू शुरू मे तो सब अच्छा था

फिर मामा के बच्चे जिस स्कूल में वो पढते थे वही  उसका भी दाखिला हो गया रीता छोटे शहर से आई थी 

तो उसके बोलने चालने  मे  फर्क था इसी कारण सब उसका मजाक बनाते‌ । मामा के बच्चे स्कूल उससे बात भी ना

करते ना उसे अपने साथपार्क ‌ले जाते वो घर से बच्चो को खेलते मुझे देखती उसका भी खेलने का मन करता कोई उसे ना ले जाता ।

अब उसे अपने घर की बहुत याद आती। एक दिन उसके मामा के बेटे के दोस्त उनके  घर पर आए

उन्होने वहा रीता  को देखा और पूछा  यह  गवार यहा क्या कर रही है ॽ और सब हसने लगे रीता को बहुत बुरा लगा

दोस्तों  के जाने के बाद मामा का बेटा रजत अपनी मा से बोला आप कहा से ये मुसीबत उठा लाए  स्कूल मे तो इतकी वजह से  शर्म

आती है अब  घर पर भी। मामी बोली गले ही पड गयी तो क्या करते जबरदस्ती हमारे साथ  आ गयी । रिता यह सुनकर  रोने लगी

आज सपना घर अपने मा बाप बहुत याद आ रहे थे और वो पछता रही थी अब वो यहाँ नही रहना चाहती थी।

शायद  उसके  मन की बात ईश्वर ने सुन ली और इतवार को उसके माता पिता  मिलने आए माँ ने देखा रीता कमजोर हो गई है

और चुप चुप है । मॉ ने पूछा क्या बात है वो बोली मुझे घर ले चलो मुझे यहाँ नही रहना माॅ बोली बता तो क्या बात हैॽ

बस  रीता ने जीद  पकडली मुझे यहाँ  नहीं रहना। रीता के माता पिता रीता को घर ले आए  ।

घर आकर  रीता बहुत रोई और अपने माता पिता को सारी बात बताई। पिता जी बोले कही   जाने की जरुरत नही है

हम कम मे भी अपने बच्चे को अच्छा पढा सकते है और प्यार से रख सकते हैं रीता की  माँ ने रीता के मामा को फोन करके मना कर

दिया कि रीता का वहा मन  नही लगता  वो यही पढेगी रीता के मामा बोले मेरा इतना खर्चा करवाया

इतने  अच्छे स्कूल मे दाखिला आसान है  क्याॽ रीता के पिताजी बोले चिंता मत  किजिए हम आपके पैसे चुका देगे ।

आज रीता को अपने घर की सुखी रोटी भी पकवान से कम नही लग रही थी आज से समझ आ गया था

अपना घर अपना ही होता है कोई महल उस  घर की जगह  नही ले सकता नाही माता पिता की तरह कोई और प्यार कर सकता है। 

दोस्ती एक स्वरचित कहानी है 

आपली सखी 

खुशी

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