अपना घर अपना ही होता है – तृप्ती देव   : Moral Stories in Hindi

Post View 1,612 गर्मियों की दोपहर थी। सूरज की किरणें तपती धरती को आग के गोले में बदल रही थीं। आंगन में बैठी सुमित्रा बाई के चेहरे पर पसीने की बूंदें चमक रही थीं, पर उनके चेहरे पर एक संतोष की मुस्कान थी। आज उनका बेटा, रवि, जो शहर में नौकरी करता है, कई महीनों … Continue reading अपना घर अपना ही होता है – तृप्ती देव   : Moral Stories in Hindi