अपमान – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

बुआ जी आप मेरे मम्मी पापा का इस तरह से अपमान नहीं कर सकती। मम्मी ने तो आपसे कोई रिश्ता बताने को कहा था मेरे लिए वो भी इस लिए कि आप समाज के बीच में रहती है ,आप ऐसा करेगी कभी सोचा न था।मैं अपनी मम्मी पापा के आंख में आंसू नहीं देख सकती , प्लीज़ आप जाए यहां से मानसी लगातार बोले जा रही थी ।

तभी आशा जी ंंने मानसी को चुप कराया,चुप रहो बेटा ऐसा नहीं बोलते बुआ है तुम्हारी बड़ी है ।बुआ है बड़ी है लेकिन क्या कोई इस तरह से धोखा देता है क्या ,देख लेना मां मैं अपने लिए खुद ही लडका ढूंढ लूंगी और बिना दहेज के शादी भी होगी ।अब आगे से आप बुआ जी से रिश्ते के लिए नहीं कहेंगी और मानसी पैर पटकती हुई कमरे में चली गई।और वहां भी बड़बड़ाती रही आ जाती है घर में फालतू बुआ जी है ।

                      आशा और अमर का एक खुशहाल परिवार था ।दो बच्चे थे एक बेटा और एक बेटी । बेटा विकास बड़ा था और बेटी मानसी छोटी ‌अ मर जी पेशे से वकील थे । बहुत अच्छी प्रैक्टिस नहीं थी अमर जी की बस घर ठीक से चल जाता था बच्चों की पढ़ाई लिखाई हो जाती थी । बेटा विकास इंटर करने के बाद बहुत सी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करता रहा लेकिन कहीं सफलता नहीं मिल रही थी । पढ़ाई के साथ साथ वो छोटे बच्चों की ट्यूशन भी करता था ‌‌‌‌‌‌जिससे वो अपनी पढ़ाई का खर्चा निकाल लेता था

।कम्पटीशन निकालने के लिए कड़ी मेहनत की जरूरत होती है और एकाग्रता की भी जरूरत होती है ।उसका दिमाग ट्यूशन में बंट गया था हो सकता है इस वजह से वो प्रतियोगी परीक्षाओं को नहीं निकाल पा रहा हो। कहीं पर सलेक्शन न होने पर उसने ट्यूशन को ही अपना प्रोफेशन बना लिया था ।

बेटी मानसी विकास से बस डेढ़ साल ही छोटी थी । ग्रेजुएशन करने के बाद मानसी ने भी किसी कम्पनी में रिसेप्शनिस्ट की नौकरी कर ली थी ।बीस की हो चुकी थी मानसी । आशा ने उसके रिश्ते के लिए अमर से कहा तो बोले अरे अभी छोटी है लेकिन आशा को चिंता होने लगी थी ‌‌‌ क्योंकि बहुत पैसा तो ंनहींथा घर में कि पैसे के बूते शादी हो जाए ।और दूसरा सबसे बड़ा कारण था कि मानसी का रंग बहुत दबा हुआ था ।नैन नक्श तो अच्छे थे लेकिन रंग एक तरह से काला ही था। इससे आशा जी बहुत चिंतित रहती थी कि कैसे होगी बेटी की शादी।

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           वहीं अमर जी का एक छोटा भाई भी था आलोक ,उसी शहर में रहता था । उसके तीन बेटियां थीं ।इधर अमर जी का रंग तो बहुत दबा था तो मानसी अपने पापा पर ही गई थी ।उधर अमर जी के भाई आलोक का रंग साफ था और उनकी पत्नी पुष्पा जी भी ठीक थी तो तीनों बेटियां खूब गोरी चिट्टी और सुंदर थी ।मानसी और आलोक जी की बड़ी बेटी पिंकी में उम्र का ज्यादा कोई अंतर नहीं था

महज एक साल ही छोटी थी।और वो लोग गांव में रहते थे तो पढ़ाई लिखाई में ज्यादा मन नहीं लगता था बस दिनभर बनी संवरी घूमती रहती थी ।इधर मानसी शहर में रहती थी और उसे बनावट श्रृंगार का कोई शौक नहीं था सादा सिम्पल सी रहती थी । मां आशा उससे कहती रहती थी कि बेटा जरा ढंग से रहा करो कभी कभार थोड़ा मेकअप कर लिया करो देखो तेरे चाचा की बेटियां कैसी संजी संवरी रहती है तो मानसी तपाक से जवाब दे देती कि मुझे नहीं पसंद लीपा पोती।

                     अमर जी की एक बहन थी अमिता वो समाज के बीच में रहती थी और लोगों के बच्चों के शादी ब्याह करवाने में काफी दिलचस्पी रखती थी ।मानसी की मम्मी आशा जी ने सोचा क्यों न अमिता दीदी से बात की जाए । अभी मानसी की ज्यादा उम्र तो नहीं हुई है लेकिन उसके रंग रूप से थोड़ा चिंतित रहती थी ।

आलोक जी की लड़कियां सुंदर तो थी ही उनके पास पैसा भी अच्छा था । बीड़ी पत्ते का काम करते थे वो ।उनकी बड़ी बेटी पिंकी 19 साल की हो रही थी और पढ़ाई-लिखाई में ज्यादा दिलचस्पी थी नहीं थी और गांव का माहौल था तो एक ही रास्ता बचा कि बस शादी कर दो । आलोक जी के पास पैसा अच्छा था तो अमिता का जाना आना

और छोटे भाई से लगाव कुछ ज्यादा था।उनकी बेटियों को भी पसंद करती थी।आलोक जी ने बहन अमिता से कहा कि दीदी पिंकी के लिए कोई रिश्ता ढूंढे।इस तरह मानसी और पिंकी दोनो की तस्वीरें और कुंडली अमिता के पास पहुंच गई ।

                     और जल्द ही बहन अमिता ने अपने ससुराल की तरफ से किसी रिश्तेदारी में एक लड़का ढूंढ़ लिया लेकिन वो रिश्ता मानसी के लिए नहीं पिंकी के लिए था।इधर काफी समय बीत गया तो आशा जी ने ननद को फोन किया कि दीदी क्या हुआ आपने कुछ बताया नहीं कोई रिश्ता मिला क्या मानसी के लिए तो अमिता ने बताया हां भाभी मिल तो गया है लेकिन मैं आपके पास आकर बताती हूं ।इधर आशा जी के मन में एक उम्मीद की किरण जगी गई कि चलो कोई रिश्ता मिल गया ।

और कुछ दिनों बाद जब अमिता भाई के घर आई तो आशा जी पूछने लगी बताओ दीदी किसका लड़का है उन लोगों ने मानसी की फोटो को पसंद कर लिया न, फिर अमिता बोली भाभी ऐसा है कि रिश्ता मानसी का नहीं पिंकी का हुआ है । क्या आप तो मानसी के लिए रिश्ता ढूढ रहीं थी ये पिंकी का कैसे हो गया।अमिता बोली लेकिन लड़के वालों को सुंदर और गोरी लड़की चाहिए थी तो हमने पिंकी की बात चलाई और पिंकी को बुला कर दिखाया भी तो वो उनको पसंद आ गई ।

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इसलिए उसी का रिश्ता पच्चीस लाख में तय हो गया । क्या दीदी आपने धोखा किया हमारे साथ ।जब ये सब ननद भाभी में वार्तालाप चल रहा था तो मानसी सुन रही थी उसको बड़ा गुस्सा आया और वो आकर बुआ जी को बातें सुनाने लगी ।बुआ जी आप तो हमेशा से चाचा चाची की और उनकी बेटियों की हिमायती रही है ।हम लोगों को तो पसंद नहीं करती थी इसलिए तो आपने उनका रिश्ता करवाया। आपने हमारे मम्मी पापा का अपमान किया है ।अब देखिएगा मैं बिना दहेज के अपनी पसंद से लड़का पसंद करके शादी करूंगी आप जाइए यहां से ।

               मानसी इस अपमान से तिलमिला उठी थी वो हर रोज मम्मी को तसल्ली देती कि आप बिल्कुल परेशान न हों मैंने जो कहा है उसको पूरा करके दिखाऊंगी। मानसी ने दो तीन मेट्रो मोनियल साइड पर अपनी प्रोफाइल लगा दी और बराबर चेक करती रही ।छै महीने बीत गए पर कुछ न हुआ, मानसी ने फिर से दोबारा प्रोफाइल लगा दी और कोशिश करती रही फिर एक दिन दिल्ली का एक पंजाबी लड़के ने थोड़ी दिलचस्पी दिखाई लेकिन समस्या वहीं जाता बिरादरी की ।

मानसी लगी रही और धीरे धीरे उस लड़के को अपने विश्वास में लिया सबकुछ उसके बारे में जाना और अपने बारे में बताया और ये भी कि बिना दहेज के शादी होगी ।जब ये सब घर में मम्मी पापा से शेयर किया तो वो तैयार नहीं हो रहे थे अपनी जाति से अलग कैसे क्या कहेंगे लोग । लोगों की परवाह न करों मम्मी वो कुछ दिन बोलेंगे फिर शांत हो जाएंगे ।

                सबकुछ अच्छा हो ये भी तो गारंटी नहीं है बहुत धोखा भी है इस तरह से शादी करने में । मम्मी पापा को विश्वास में लेकर मानसी ने उनको लड़के के घर दिल्ली भेजा ।घर और लड़के को देखने के बाद अमर जी और आशा थोड़ा संतुष्ट दिख रहे थे ।मन को बहुत मजबूत करके शादी तो कर दी

लेकिन एक डर सा मन में समाया रहता था । धीरे धीरे समय बीतता रहा शादी के छै महीने निकल गए सबकुछ ठीक चल रहा था फिर अमर और आशा के मन में थोड़ा सुकून आने लगा । अपनी ही जाति होती है तो कहीं से भी किसी से पूरी जानकारी मिल जाती है लेकिन दूसरे जगह न हम कुछ जानते हैं न समझते हैं वहां बड़ी मुश्किल होती है । बहरहाल सब ठीक चल रहा था।

                 खैर ईश्वर को साक्षी मानकर मानसी की शादी तो हो गई और वो भी बिना दहेज के ।मन की शंकाएं धीरे धीरे खत्म हो गई परिवार और लड़का अच्छा निकला । मानसी ने वहीं दिल्ली से एम बीए करके किसी कम्पनी में नौकरी कर रही है ।

               आज दस साल हो गए उसकी शादी को एक बेटा है आठ साल का । बढ़िया खुशहाल परिवार है ।और इधर चाचा की बेटी पिंकी की जिससे शादी हुई थी उस लड़के का किसी और से चक्कर चल रहा था जिसकी वजह से पिंकी की शादी टूट गई और वो‌ तलाक़ लेकर घर बैठी है ।अब बुआ जी से भी संबंध खराब हो गए हैं  छोटे भाई के कि आपको लड़के के बारे में सब पता था लेकिन बताया ंनहीं। क्यों नहीं बताएंगे भला । लेकिन भाई बहन के रिश्तों में न पटने वाली खाई आ चुकी है।

   शायद एक बेटी और मां की बद्दुआओं का नतीजा होगा कि ऐसा हो गया। इसलिए किसी का बेवजह अपमान न करें ।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर

21 दिसंबर

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