अपमान बना वरदान – दमयंती पाठक : Moral Stories in Hindi

मेरी बुआ का बेटा पिंटू बचपन से ही बहुत बदमाश था जब भी वो हमारे घर आता सभी डर जाते थे कि कब क्या कर देगा।

गर्मी की छुट्टी में जब हम सब गांव जाते हैं वाहा बुआ, चाचा अपने-अपने परिवार के साथ आते हैं। हम सब से मिलने गांव के लोग आते थे।

जो भी लोग मिलने आते थे पिंटू किसी की साइकिल का हवा निकाल देता था किसी की साइकिल अरहर के खेत मैं चला देता जिसका टायर ख़राब हो जाता

किसी की साइकिल की घंटी तोड़ देता लोग घर पर आने से डरते थे। हम लोगो से भी दिन भर लड़ता.अपनी मम्मी की तो बिल्कुल भी नहीं सुनता था.

सब इसी में परेशान रहते हैं कि ये सुधरेगा कैसे और सुधरेगा भी या नहीं वैसे पिंटू दिल का बहुत साफ था सबको प्यार भी करता था

जो उसको डांटा उसको परेशान करने का नया तरीका खोजता और जो उसको प्यार से समझाता उसकी बात मान भी लेता था

एक दिन पिंटू बदमाशी करके पूरे घर की नाक में दम कर रखा था सभी उसे समझा रहे थे तभी हमारे छोटे चाचा बाहर से घर के अंदर आए थके हुए थे

उसको बदमाशी करता देख बहुत गुस्सा हुए और आंगन में बने कांभे उसे रस्सी से बंद करो दोया और मरने लगे लोगो ने बहुत रोका लेकिन नहीं माने।

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उसदिन पिंटू बहुत रोया और उसने कसम खाई कि अब मैं मां के यहां नहीं आऊंग थोड़े दिन बाद बुआ अपने घर चली गई

पिंटू ने बदमाशी करना बंद ही कर दिया और बुआ अपने मायके आती लेकिन पिंटू उनके साथ नहीं आता .उस दिन की मार को उसने दिल पर ले लिया

बदमाशी छोड़कर अच्छा बच्चा बन गया आज पिंटू 35 साल का हो गया और एक सफल बिजनेसमैन बन गया है

कोई भी बुरी आदत उसके अंदर नहीं है सभी का बहुत आदर करता है

अब जब भी उससे मिलते हैं बहुत गर्व होता है

दमयंती पाठक 

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