आओ लौट चलें – सरिता गर्ग ‘सरि’

Post View 1,283   श्वेत झीने परिधान में सरोवर से  निकली सद्य-स्नाता तुम किसी तपस्विनी का रूप धरे मेरा तप भंग कर गईं। मृणाल सी कटि तक लटके श्याम वर्णीय भुजंग का दंश पीता मैं ,नैनों के जाल में उलझा,जाने कितने शैल – शिखर पार करता अनजान घाटियों में उतर गया। तुम मेरे पास ही थीं … Continue reading आओ लौट चलें – सरिता गर्ग ‘सरि’