अंतहीन ” – गोमती सिंह

Post View 4,570 शाम का समय था ,सूरज अपनेख आप को सिंदूरी चादर में लपेटते हुए अस्तांचल की ओर रवाना करनें लगे थे।  ठीक उसी समय सरोज अपने घर की दूसरी मंजिल पर खिड़की के पास बैठे हुए इस दृश्य को देखकर उदासी के सागर में खोने लगी । उसकी आँखों के सामने 35-40 वर्ष … Continue reading अंतहीन ” – गोमती सिंह