अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 43) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

Post Views: 35 “तुम दोनों, सौरभ बेटा तुम” मनीष के साथ बैठक में छोटी बल्ब की हल्की रोशनी में दीपिका और सौरभ को देखकर अंजना आश्चर्यचकित होकर कहती है। “शी.. शी..आंटी जी, आपकी बहू की नींद बहुत पतली सी है। कल उनका जन्मदिन है और अब मेरे पतिदेव और उनके पतिदेव के बीच दोस्ती हो … Continue reading अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 43) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi