अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 42) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

Post View 30,709 “ओह तुम तो डर ही गई। ऐसा क्या है इस डायरी में।” विनया के गोरा मुखड़े को पूर्णतः सफेद होते देख मनीष कहता है। नहीं कुछ नहीं, विनया के डायरी छीनने के प्रयास में डायरी मनीष के हाथ से छूट कर फिर से नीचे गिर गई। जब टीके विनया नीचे झुकती, मनीष … Continue reading अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 42) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi