अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 39) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

Post View 26,850 अचानक कमरे की लाइट ऑन हुई और ऑंखों पर पड़े इस प्रकाश ने विनया की ऑंखें बंद कर दी और वो चीख कर डगमगा गई, डगमगाते ही उसने खुद को बलिष्ठ हाथों में पाया। “तुम डरती भी हो, मुझे तो लगा था केवल डराती हो।” मनीष विनया को बाॉंहों में लिए उसकी … Continue reading अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 39) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi