अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 39) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

Post Views: 14 अचानक कमरे की लाइट ऑन हुई और ऑंखों पर पड़े इस प्रकाश ने विनया की ऑंखें बंद कर दी और वो चीख कर डगमगा गई, डगमगाते ही उसने खुद को बलिष्ठ हाथों में पाया। “तुम डरती भी हो, मुझे तो लगा था केवल डराती हो।” मनीष विनया को बाॉंहों में लिए उसकी … Continue reading अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 39) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi