अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 37) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

Post View 25,804 “बेटा, विनया को अकेले खाने की आदत नहीं है। वो अकेली नाश्ता तो नहीं करेगी। क्यों ना हम डॉक्टर से मिल कर घर ही आ जाएं।” गाड़ी के आगे बढ़ते ही अंजना पीछे छूटते जा रहे पेड़ पौधों को देखती हुई कहती है। “ओह हो माँ, कितना सोचती हो। भैया ने उसकी … Continue reading अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 37) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi