अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 33) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

Post View 27,675 “आप कमरे में चलिए पापा, मैं कुछ व्यवस्था करता हूॅं।” मनीष अपने पापा से कहता है। “बेटा, पहले अपनी माॅं को डॉक्टर से दिखा ला, उसके बिना ये घर नहीं चल सकेगा।” मनीष के पापा बहुत ही धीमे और क्षीण स्वर में कुछ इस तरह कहते हैं जैसे यदि किसी और ने … Continue reading अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 33) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi