अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 26) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

Post View 33,897 एक और अलसाई सुबह, अंगराई लेती हुई विनया मोबाइल में समय देखकर ऑंख मिचमिचा कर खोलने के बदले फिर से बंद कर लेती है। बिस्तर छोड़ने की उसकी इच्छा नहीं हो रही थी। दिल दिमाग बोझिल सा हो रहा था, आजकल उसकी रातें घर के हालातों को सोचती गुजर जाती हैं और … Continue reading अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 26) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi