अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 24) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“क्या बात है मनीष, तुम्हारे और विनया के बीच कोई दिक्कत है क्या?” संभव बालकनी में मनीष के साथ बैठा हुआ पूछता है। “नहीं भैया, कोई दिक्कत नहीं है।” मनीष संभव की ओर देखे बिना ही कहता है। “तुम दोनों को देखकर ऐसा क्यों लगता है, जैसे एक दूसरे से खींचें खींचें से रहते हो।” … Continue reading अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 24) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi