अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 18) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“नमस्ते मामाजी”…. संपदा ट्रे रखती हुई अखबार वाले अंकल से कहती है। संपदा के नमस्ते कहने पर अंजना और अखबार वाले अंकल हड़बड़ा जाते हैं और अखबार वाले अंकल खड़े हो गए क्योंकि इन दो तीन सालों में इस घर में अंजना के अलावा किसी ने भी बात करने की आवश्यकता नहीं समझी थी और … Continue reading अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 18) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi