अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 17) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

Post View 48,089 “चाय कैसी बनी थी माॅं।” अंजना चाय का खाली प्याला ट्रे में रख रही थी तो विनया अंजना की ओर देखती हुई पूछती है। “अच्छी बनी थी, वैसे कैसे कर लेती हो ये सब।” अंजना के आवाज में फिर से तल्खी उभर आई थी। “क्या माॅं?” विनया के चेहरे पर असमंजस का … Continue reading अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 17) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi