अनोखा एका – सरला मेहता

Post View 968 सौदामिनी अकेली जान, बतियाए किससे ? बाड़े में जब से हरी सब्जियाँ व फल की बहार आने लगी, आँखें व पापी पेट दोनों तृप्त हो गए।       उनसे गुफ़्तगू में कब सूरज डूब जाता पता ही नहीं चलता। पड़ोसी ओंकार जी भी सुदामिनी जी की नकल कर बैठे। किन्तु हरी सब्जियों फलों को … Continue reading अनोखा एका – सरला मेहता