अनमोल ज़िन्दगी – डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा

Post Views: 7  होश आते ही रावी ने अपने चारो तरफ नजरों को गोल  गोल घुमाया। उसे पता नहीं चल पा रहा था कि वह इस वक्त कहां है और यहां कैसे आई। थोड़ा सा अपने  यादाश्त पर जोर डाला। कुछ याद आते ही वह जोर से चीख पड़ी-”  मैं यहां क्यूँ हूँ?,  “मैं यहां … Continue reading  अनमोल ज़िन्दगी – डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा