अनजानें रिश्तें – गुरविंदर टूटेजा

Post Views: 5 अजय निधी पर चिल्ला रहा था कि…निधी तुम भी ना रोज एक नया रिश्ता बनाकर बैठ जाती हो…तुम्हें समझ क्यूँ नहीं आता कि ये दुनिया सिर्फ फायदा उठाती है…!!    देखो अजय मैं वही जाती हूँ जहाँ कोई मजबूर होता है या जरूरतमंद होता है और मैं अकेली तो हूं नहीं हम पाँच … Continue reading अनजानें रिश्तें – गुरविंदर टूटेजा