आखिरकार (कहानी) – डॉ उर्मिला सिन्हा
Post View 2,265 गोपू निढाल होकर बिस्तर पर जा गिरा।बुरी तरह थक गया था। अन्दर से वार्तालाप , ठहाकों का मिला-जुला शोर मानों उसे चिढा रही थी। आधुनिक कोठी के पिछवाड़े सेवकों के लिए बने हुए छोटे-छोटे कमरे। जिसमें गोपू अपनी मां के साथ रहता है। मां के आंचल का सुख उसे यहीं मिलती है। … Continue reading आखिरकार (कहानी) – डॉ उर्मिला सिन्हा
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed