आखिरी आवाज़ – कंचन श्रीवास्तव 

Post Views: 8 की बोड पर हर वक्त थिरकती हुई उंगलियां अचानक शांत हो गई है ऐसा लगता है जैसे पोर पोर दुखता है पास होते हुए भी बेगाने सा पड़ा रहता है। आज पूरे दो महीने हो गए समीर को गए, पर ऐसा लगता है जैसे कल ही की बात है । हां कल … Continue reading आखिरी आवाज़ – कंचन श्रीवास्तव