अकेलापन “मेरा रहबर ” – कृष्णा विवेक

Post Views: 11 कविता ••• कविता •••• “अरे निशांत तुमने देखा क्या वो कविता ही थी ना !!! “ शालिनी ने निशांत से कहा। निशांत को भी आश्चर्य था वो कविता ही लग रही हमारी आँखे अपनी दोस्त को पहचानने में धोखा नहीं खा सकती  चलो पीछा करते हैं। निशांत और शालिनी मॉल की पार्किंग … Continue reading अकेलापन “मेरा रहबर ” – कृष्णा विवेक